आयातकों की लगातार डॉलर मांग के कारण सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 0.4 फीसदी कमज़ोर हो गया। इसके अलावा रुपये के 88 प्रति डॉलर के स्तर से नीचे जाने के बाद ट्रेडरों ने अपनी लॉन्ग पोजीशन बेच दीं। इससे स्थानीय मुद्रा पर और दबाव पड़ा। डॉलर के मुकाबले रुपया 88.25 पर टिका जिसका एक दिन पहले का बंद स्तर 87.85 था।
बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि भारत पर लगाए गए टैरिफ की दरों को 20 फीसदी से कम करने के अमेरिकी कदम को लेकर पहले थोड़ी उम्मीदें बंधी थीं जिससे सप्ताह के दौरान मुद्रा कुछ समय के लिए 87.60 तक मजबूत हुई थीं। लेकिन यह बढ़त ज्यादा देर नहीं रही और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने शेयरों और मुद्रा की बिकवाली जारी रखी। भारतीय रिजर्व बैंक के कुछ डॉलर खरीद (जो संभवतः मैच्योरिटी पोजीशन से जुड़ी हो सकती हैं) करने से भी दबाव बढ़ा।
हालांकि एफपीआई की निकासी कम हुई है। लेकिन बिकवाली का रुझान बना हुआ है। भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के संभावित सकारात्मक परिणाम रुपये को 87 के स्तर तक ले जा सकते हैं। इस बीच, ऐसा लगता है कि आरबीआई खास स्तरों का बचाव किए बगैर बाजार समायोजनों होने देने के लिए सहज दिखता है।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, एफपीआई के शेयर बेचने का रुझान भले ही धीमा पड़ा हो, लेकिन बिकवाली जारी है। भारत-अमेरिका व्यापार समझौते से जुड़ा कोई सकारात्मक पहलू ही रुपये को 87 के स्तर तक पहुंचा सकता है क्योंकि आरबीआई ने रुपये को किसी खास स्तर पर स्थिर नहीं रहने दिया है। आज की गिरावट से पहले पिछले कुछ सत्रों में रुपया केवल 1.20 फीसदी ही मजबूत हो पाया था। यह आज के निचले स्तर 88.24 से थोड़ा ऊपर बंद हुआ। अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों को लेकर जारी अनिश्चितता और वैश्विक जोखिम उठाने की क्षमता रुपये के लिए व्यापक रुख तय कर रही है।
रुपये पर दबाव बना हुआ है, लेकिन चालू महीने में यह अब तक सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली एशियाई मुद्रा बनकर उभरी है। अक्टूबर में स्थानीय मुद्रा में 0.62 फीसदी की वृद्धि हुई है। वियतनामी डॉन्ग 0.47 फीसदी की वृद्धि के साथ दूसरी सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा रही है।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, दबाव तो है लेकिन आरबीआई के हस्तक्षेप से रुपया स्थिर बना हुआ है। अब फेडरल रिजर्व के दरों में कटौती करने की उम्मीद है जिससे निकट भविष्य में रुपये को मदद मिलेगी। चालू वित्त वर्ष में डॉलर के मुकाबले रुपये में अब तक 3.12 फीसदी की गिरावट आई है जबकि चालू कैलेंडर वर्ष में इसमें 2.98 फीसदी की गिरावट हुई है।