राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने मीडिया कंपनी ज़ी एंटरटेनमेंट (ZEE) के खिलाफ दिवाला कार्यवाही पर शुक्रवार को रोक लगाकर कंपनी को रहात दी।
ज़ी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी पुनीत गोयनका की याचिका स्वीकार करते हुए एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) की मुंबई पीठ के आदेश पर रोक लगा दी है।
शुक्रवार को एक बयान जारी कर गोयनका ने कहा कि एनएसीएलएटी के आदेश का वह सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम सभी हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा ध्यान कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट (पहले सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया) के साथ प्रस्तावित विलय को समय पर पूरा करने पर है।’
एनसीएलएटी की मुंबई पीठ द्वारा इंडसइंड बैंक द्वारा दायर एक याचिका पर ज़ी के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को स्वीकार करने के बाद गोयनका ने गुरुवार को एनसीएलएटी का रुख किया था, जो ज़ी का वित्तीय लेनदार है।
शुक्रवार को एनसीएलएटी की सुनवाई में गोयनका की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि ऋण की वसूली, जहां ज़ी एक गारंटर था उसको ऋण वसूली न्यायाधिकरण के माध्यम से जाना चाहिए न कि दिवाला संहिता के माध्यम से।
उन्होंने कहा कि ज़ी ने इंडसइंड बैंक के 150 करोड़ रुपये के ऋण की गारंटी सिटी नेटवर्क्स को दी थी, जो एस्सेल समूह का हिस्सा है, ऋणदाता ने एनसीएलटी में अपनी याचिका में कहा था। इसने कहा था कि सिटी नेटवर्क सितंबर 2019 से अपने ऋण खाते को बनाए रखने में विफल रहा है और यह डिफ़ॉल्ट राशि 89 करोड़ रुपये है। गारंटर के रूप में, ज़ी इस तरह की चूक के लिए उत्तरदायी था।
रोहतगी ने यह भी कहा कि ज़ी ने सिटी के कर्ज के लिए विशेष गारंटी नहीं दी थी, बल्कि केवल ब्याज अदायगी की एक किश्त की कमी को बनाए रखने के लिए दी थी।
रोहतगी ने कहा कि एनसीएलटी द्वारा कंपनी के खिलाफ दिवाला कार्यवाही स्वीकार करते समय ज़ी की कोई दलील नहीं सुनी गई। यह न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।
इंडसइंड बैंक ने शुक्रवार को एनसीएलएटी में अपनी ओर से कहा कि ज़ी को पता था कि एनसीएलएटी में दिवाला कार्यवाही लंबित है और उसने इसका जवाब न देकर जोखिम उठाया है।
ऋणदाता ने यह भी कहा कि इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के एक पिछले आदेश में ज़ी को सिटी द्वारा हर चूक को कवर करने के लिए कहा गया था और यह गारंटी प्रभावी और उस पर बाध्यकारी रहेगी।
सोनी के साथ विलय के अंतिम चरण में ज़ी है। हालांकि फर्म के खिलाफ दिवाला कार्यवाही फिलहाल रोक दी गई है, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि प्रस्तावित विलय को अंतिम मंजूरी देने से पहले बकाया से संबंधित मुद्दों को हल करना होगा।