गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को अलग-अलग स्रोतों से धन जुटाने और बैंकों पर अत्यधिक निर्भरता कम करने की जरूरत है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अध्ययन के मुताबिक एनबीएफसी की संपत्ति गुणवत्ता और पूंजी की स्थिति मजबूत होने के कारण उनकी लोन बुक में भी निरंतर वृद्धि हुई है।
एनबीएफसी को चार श्रेणियों – बेस, मध्यम, ऊपरी और शीर्ष में बांटा गया है। श्रेणियों का विभाजन एनबीएफसी के आकार, गतिविधि और नियामक ढांचे में उल्लेखित जोखिम के स्तर किया जाता है। यह नियामक ढांचा 1 अक्टूबर, 2022 से लागू किया गया है।
एनबीएफसी की बैंकों पर निर्भरता बढ़ गई। यह खासतौर पर ऊपरी स्तर (एनबीएफसी-यूएल) पर है। इस स्तर की उधारी निरंतर बढ़ रही है। एनबीएफसी की दिसंबर, 2022 तक बैंक से ली गई उधारी में इस स्तर की हिस्सेदारी करीब आधी थी।
एनबीएफसी के ऊपरी स्तर की निर्भरता बढ़ने का प्रमुख कारण यह था कि कम ब्याज दर का वातावरण और मौद्रिक नीति के बदलाव के दौर से गुजरना था। एनबीएफसी का ऊपरी स्तर मुख्य तौर पर सुरक्षित उधारी पर निर्भर करता है जबकि एनबीएफसी का मध्यम स्तर असुरक्षित उधारी पर अधिक आश्रित है। यह खासतौर पर बड़ी एनबीएफसी के बारे सच है और यह दो तिहाई असुरक्षित उधारी लेती हैं।
एनबीएफसी क्षेत्र की समेकित बैलेंस शीट में दिसंबर, 2022 को सालाना आधार पर दहाई अंक में वृद्धि दर्ज हुई थी। उनके उधारी देने में कई रुझान दिखाई देते हैं। सरकारी स्वामित्व वाली एनबीएफसी मुख्य तौर पर आधारभूत संरचना से जुड़ी कंपनियों को उधारी देती हैं। निजी स्वामित्व वाली एनबीएफसी मुख्य तौर पर खुदरा क्षेत्र को उधारी देती हैं।
आर्थिक स्थिति बेहतर और कुल अग्रिमों के प्रतिशत के रूप में क्षेत्र की गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) में गिरावट आई है। हालिया एनपीए में भी गिरावट आई है और रिकवरी बेहतर हुई।सकल गैर निष्पादित संपत्तियों दिसंबर, 2022 को गिरकर 4.9 प्रतिशत हो गया जबकि यह मार्च 2022 को 5.4 प्रतिशत था।
शुद्ध एनपीए भी दिसंबर 2022 को गिरकर 1.9 प्रतिशत आ गया जबकि यह मार्च 2022 को 2.4 प्रतिशत था। एनबीएफसी ने पूंजी की मजबूत स्थिति व पर्याप्त कोष को कायम रखा है। इस क्षेत्र ने पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर) को 25.8 प्रतिशत को कायम रखा था जो उच्च स्तर था। इसके लिए दिसंबर, 2022 को नियामकीय जरूरत 15 फीसदी से अधिक थी।