यात्रियों के सामान हवाईअड्डे पर ही छूटने या उनके खो जाने की बात तो आपने सुनी होगी। मगर 9 जनवरी को बेंगलूरु हवाईअड्डे पर जो हुआ वह वाकई हैरान करने वाली घटना थी। बेंगलूरु से दिल्ली जाने वाली गो फर्स्ट की एक उड़ान 55 यात्रियों को लिए बिना ही रवाना हो गई। इससे भी आश्चर्य की बात यह रही कि इन यात्रियों के सामान उसी विमान से दिल्ली पहुंच गए।
गो फर्स्ट ने हवाईअड्डे पर चेक-इन करने वाले और विमान में सवार होने वाले यात्रियों की सूची के मिलान में अनजाने में हुई भूल को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया। मगर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) गो फर्स्ट की सफाई से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी कर दिया।
नोटिस में DGCA ने कहा कि इस हैरान करने वाली घटना के पीछे कई गलतियां जिम्मेदार थीं। विमानन क्षेत्र के नियामक ने कहा कि संवाद में कमी से लेकर संयोजन का अभाव, यात्रियों की सूची के मिलान और इसकी पुष्टि में हुई भूल जैसी कई बातें जिम्मेदार थीं। डीजीसीए ने कहा कि ऐसी घटना बिल्कुल नहीं होनी चाहिए थी।
यात्रियों के हवाईअड्डे पर चेक-इन करने से लेकर विमान के उड़ान भरने तक कई चरण होते हैं। आइए जानते हैं ….
लोड ऐंड ट्रिम शीटः यात्रियों एवं उनके सामान का चेक-इन होने के बाद विमानतल पर काम करने वाले कर्मचारी (ग्राउंड स्टाफ) लोड ऐंड ट्रिम शीट तैयार करते हैं। इस शीट में यात्रियों के नाम, उनके सामान और वजन सहित अन्य जानकारियां होती हैं। अगर कोई यात्री बोर्डिंग गेट पर समय रहते नहीं पहुंच पाता है तो उसे अनुपस्थित घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद लोड ऐंड ट्रिम शीट में संशोधन या इसे ठीक किया जाता है। इस शीट पर विमान का कैप्टन हस्ताक्षर करता है और सभी यात्रियों के विमान में सवार होने की पुष्टि की जाती है।
बोर्डिंग गेट पर एयरलाइन के कर्मचारी यात्रियों के बोर्डिंग पास करते हैं स्कैन
यात्रियों एवं उनके सामान का मिलान: एक मानक व्यवहार के तौर पर विमानन कंपनियां चेक-इन करने वाले यात्रियों और उनके सामान का विमान में बोर्डिंग करने वाले यात्रियों एवं उनके सामान के साथ मिलान करते हैं। बोर्डिंग गेट पर विमानन कंपनी के कर्मचारी यात्रियों के बोर्डिंग पास स्कैन करते हैं। स्कैन करने से उन्हें इस बात का इल्म हो जाता है कि कितने यात्री विमान में सवार हुए हैं।
कई बार विमान कहीं दूर खड़ा होता है और यात्रियों कों बसों से वहां तक पहुंचाया जाता है। उदाहरण के लिए जेट एयरवेज प्रत्येक बस चालक को एक सूची थमाती थी जिसमें विमान की पंजीयन संख्या, उड़ान संख्या और पार्किंग बे का जिक्र होता था। इन सूचियों में संख्या हुआ करती थी और टर्मिनल और विमान के नीचे काम करने वाले कर्मचारी इस बात की जांच करते थे कि सभी बसें यात्रियों के साथ विमान तक पहुंच चुकी हैं या नहीं।
जब यात्रियों को लेकर आ रही तीसरी बस रास्ते में कहीं अटक गई
सोमवार को गो फर्स्ट की उड़ान की बात करें तो दिल्ली जाने वाले यात्री चार बसों में भरकर विमान तक पहुंचाए जा रहे थे। लोड ऐंड ट्रिम शीट लेकर कर्मचारी चौथी बस के साथ विमान तक पहुंच गए। मगर यात्रियों को लेकर आ रही तीसरी बस रास्ते में कहीं अटक गई। विमान के पायलट एवं चालक दल के सदस्यों को सभी यात्रियों के विमान में सवार होने की सूचना दे दी गई। इस बीच तीसरी बस नहीं पहुंचने के कारण 55 यात्री विमान तक पहुंच ही नहीं पाए।
यात्री नहीं तो सामान नहीं: सभी विमानन कंपनियां इस नियम का पालन करती हैं। अगर कोई यात्री किसी कारणवश विमान में सवार नहीं पाता है तो उसका सामान उतार दिया जाता है। 1985 में एयर इंडिया के विमान में हुए बम विस्फोट के बाद यह नियम चलन में आया था। हालांकि इस नियम के साथ कुछ अपवाद भी हैं। यदि किसी यात्री का सामान छूट जाता है तो पर्याप्त सुरक्षा जांच के बाद अगले उपलब्ध विमान से उसका सामान गंतव्य तक पहुंचाचा जाता है।
विमान का वजन एवं संतुलन: विमान के सुरक्षित उड़ान भरने के लिए यात्रियों एवं उनके सामान के सही आंकड़ों की जानकारी होनी चाहिए। विमान के भीतर सामान इस तरह व्यवस्थित किए जाते हैं ताकि उनका वजन बराबर विभाजित हो जाए। ऐसा नहीं होने पर विमान के सुरक्षित उड़ान भरने या उतरने में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। अगर विमान के पिछले हिस्से में अधिक वजन रखा जाता है तो इससे विमान का अगला सिरा ऊपर उठ जाएगा और पिछला सिरा जमीन के संपर्क में आ जाएगा। विमानों का अपना वजन भी उड़ान भरने की रफ्तार पर असर डालता है। ऊंचाई, तापमान, हवा का दबाव जैसे कारक भी असर डालते हैं।
विमान के अंदर यात्रियों की गिनती नहीं, जबकि पहले सभी यात्रियों के सवार होने के बाद होती थी गिनती
विमान के अंदर यात्रियों की गिनती नहीं: पहले सभी यात्रियों के विमान में सवार होने के बाद चालक दल के सदस्य उनकी गिनती करते थे। मगर अब ऐसा नहीं होता है। इस बारे में एक रिटायर्ड पायलट ने कहा, ‘ चालक दल के सदस्य हमें विमान में सवार यात्रियों की संख्या बताया करते थे। लोड ऐंड ट्रिम शीट और चालक दल की गिनती में किसी तरह का अंतर होना हमारे लिए चिंता की बात हो जाती थी।’
इस रिटायर्ड पायलट ने कहा, ‘ जब विमान खड़ा था तो क्या गो फर्स्ट के पायलटों को 55 यात्रियों के नहीं आने की बात मालूम थी? अगर पायलट को यह बात मालूम थी तो उन्हें उड़ान नहीं भरनी चाहिए थी।’