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LIC की 25 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता का मसला

LIC को न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंड पूरा करने में लग सकते हैं 5-7 साल

Last Updated- September 06, 2023 | 9:51 PM IST
LIC

भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को 25 प्रतिशत न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के मानक पूरा करने में अभी कम से कम 5 साल और वक्त लग सकता है, जिसके लिए मौजूदा छूट सीमा 2027 है। इस सिलसिले में एक औपचारिक विज्ञप्ति हाल ही में वित्त मंत्रालय के साथ साझा की गई है। इस मामले के जानकार सरकार से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि इसमें एलआईसी के खाके, आगे हिस्सेदारी कम करने की योजना, सार्वजनिक निर्गम के मौजूदा मानक व आगे की चुनौतियों के बारे में बात की गई है।

अधिकारी ने कहा, ‘आगे चलकर हमें न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के काके पर सेबी और आर्थिक मामलों के विभाग से बात करनी होगी। बाजार स्वीकार्यता को ध्यान में रखकर यह किया जा सकता है।’ इस समय एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी 96.5 प्रतिशत है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने किस्तों में अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है, जिसमें वह छोटे हिस्से को बेचेगी। हिस्सेदारी बेचने के बारे में आगे कोई फैसला वैश्विक मंदी और घरेलू स्थितियों सहित बाजार की स्थिति पर विचार करने के बाद ही लिया जाएगा। इस प्रक्रिया में दी गई समय सीमा से ज्यादा वक्त लग सकता है। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा कि नियामकीय जरूरत पूरी करने के लिए अभी 5 से 7 साल और लग सकता है।

बाजार पूंजी 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होने के कारण सेबी ने 2021 में सार्वजनिक शेयरधारिता 25 प्रतिशत रखने के मानक पूरा करने हेतु 5 साल वक्त दिया था। एलआईसी को आईपीओ लाने की सुविधा देने के लिए ऐसा किया गया था।

सेबी ने 2021 में नियम में बदलाव करते हुए कहा था, ‘जारीकर्ता की शेयर जारी करने के बाद बाजार पूंजी 1,00,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होने की स्थिति में न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता की जरूरत शेयर जारी करने के बाद बाजार पूंजी (मौजूदा प्रावधान) के 10 प्रतिशत से घटाकर 10,000 करोड़ रुपये और 1,00,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि का 5 प्रतिशत किया जाएगा।

जारीकर्ता को 2 साल में 10 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता करनी होगी और सूचीबद्धता की तिथि के 5 साल के भीतर सार्वजनिक शेयरधारिता 25 प्रतिशत करनी होगी।’ इस साल की शुरुआत में सरकार ने अधिसूचित किया था कि वह अब किसी सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रम के न्यूनतम शेयरधारिता मानक से छूट दे सकती है, जिसके तहत सभी सूचीबद्ध संस्थाओं के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता अनिवार्य होती है।

एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने एलआईसी के प्रबंधन द्वारा दीपम के साथ मिलकर गैर-डील रोडशो के बारे में भी जानकारी दी और विदेशी निवेशकों से मिले फीडबैक साझा किए हैं। इन्होंने कई देशों में अंतरराष्ट्रीय रोडशो किए थे, जिनमें हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर शामिल हैं। इनमें बीमा दिग्गज के कारोबारी पहलुओं को बताया गया था।

सूत्रों ने कहा कि दीपम दूसरे दौर की हिस्सेदारी बिक्री की कवायद चुनाव के बाद अगले वित्त वर्ष में शुरू करेगा। सरकार को उम्मीद है कि अगले दौर में 2 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री होगी। पिछले साल एलआईसी में 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर सरकार ने 20,557 करोड़ रुपये जुटाए थे, जो देश का सबसे बड़ा आईपीओ था।

एलआईसी के शेयर 8..62 प्रतिशत डिस्काउंट पर 867.20 रुपये प्रति शेयर के भाव 17 मई, 2022 को बीएसई में सूचीबद्ध हुए थे, जिनका इश्यू मूल्य 949 रुपये प्रति शेयर था। सरकार ने 22.13 करोड़ शेयरों की बिक्री की थी। इश्यू की मूल्य सीमा 902 से 949 रुपये प्रति शेयर थी। बहरहाल निवेशकों को 12 मई, 2022 को मूल्य सीमा के ऊपरी भाव पर जारी किए गए।

First Published - September 6, 2023 | 9:51 PM IST

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