दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो अपने दूरसंचार तंत्र के लिए 5 जी स्टैंडअलोन (एसए) ऑप्शन 2 तकनीक शुरू करने की योजना पर काम कर रही है। कंपनी इस दुनिया में प्रचलित मानकों का इस्तेमाल करने से परहेज करेगी। मौजूदा ढांचे (इंटरिम आर्किटेक्चर) का इस्तेमाल कर दूरसंचार कंपनियां 4जी एलटीई नेटवर्क का इस्तेमाल कर पूंजीगत लागत कम कर सकती है। हालांकि अधिक रफ्तार वायरलेस मोबाइल ब्रॉडबैंड को घरों तक पहुंचाने की खूबियों के बाद भी कई नई एवं आकर्षक सेवाओं का इस्तेमाल इस प्लेटफॉर्म से नहीं किया जा सकता है।
एसए 5 जी एक नया नेटवर्क है, जिसमें नए 5 जी कोर और नई रेडियो तरंगों का इस्तेमाल होगा। ये ऐसी तरंगें होंगी जो 5जी बैंड पर काम करती हैं। नॉन-स्टैंडअलोन नेटवर्क में दूरसंचार कंपनियां 4जी एलटीई नेटवर्क का इस्तेमाल 5 जी के लिए कर सकती हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अबंानी ने अगले वर्ष की दूसरी छमाही तक 5 जी सेवा शुरू करने की योजना का खुलासा किया है। अगर उनकी यह योजना आगे बढ़ी तो जियो उन कंपनियों में शामिल हो जाएगी, जो अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर लाइव नेटवर्क पर काम करेगी। इस समय केवल चीन, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर में स्टैंडअलोन 5 जी नेटवर्क है। हालांकि कई दूसरे देश भी 2021 या 2022 तक इस तकनीक में हाथ आजमाने की योजना बना रहे हैं।
रिलायंस जियो से जब इस योजना पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो इसके प्रवक्ता ने कुछ कहने से इनकार कर दिया। स्टैंडअलोन 5 जी आर्किटेक्चर के कई ऐसे फायदे हैं। तेजी से प्रतिक्रिया दिखाने की अपनी खूबी के कारण 5जी एसए तकनीक मशीन से मशीन परिचालन को बढ़ावा देती है और औद्योगिक खंड में विभिन्न क्रियाकलापों में स्वचालन में मदद करती हैं। यह तकनीक स्मार्ट शहर, स्मार्ट फैक्टरियां और यहां तक की अत्याधुनिक घर भी बनाने में मदद करती है।
स्वचालन की खूबी के कारण स्टैंडअलोन 5जी कार्य क्षमता में इजाफा करती है और परिचालन लागत कम करती है। पिछली 4 जी तकनीक के उलट 5जी एसए उद्यमी ग्राहकों को प्राइवेट क्लाउड और प्राइवेट कंपनी नेटवर्क सहित नई सेवाएं देगी। इन खूबियों से दूरसंचयार कंपनियों की कमाई भी बढ़ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि रिलायंस जियो ने 4जी नेटवर्क शुरू करने पर 2 लाख रुपये खर्च किए हैं। कंपनी ने इसकी आधी रकम स्पेक्ट्रम खरीदने पर खर्च किए हैं। हालांकि 5जी स्टैंडअलोन की तरफ बढऩे के लिए इसे अब अधिक रकम खर्च नहीं करनी पड़ेगी। वैश्विक दूरसंचार उपकरण निर्माण कंपनियों के अनुमान के अनुसार जियो 5जी स्टैंडआलेन नेटवर्क पर करीब 5 से 6 अरब डॉलर रकम खर्च करेगी। इतना ही नहीं, नए निवेश नई साझेदार कंपनियों जैसे बु्रक्रफील्ड और आबु धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी ऐंड पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड से आएंगे। इससे नेटवर्क पर जियो का होने वाला खर्च बच जाएगा। रिलायंस चूंकि, स्वयं अपनी 5जी तकनीक विकसित कर रही है, इसलिए इस मोर्चे पर भी इसे बचत होगी। सूत्रों का कहना है कि जियो 5जी कोर सॉफ्टवेयर तैयार कर चुकी है और और इसे अब केवल हार्डवेयर खरीदना है। इसके अलावा कंपनी के अपने डेटा सेंटर एवं सर्वर हैं और इनका आसानी से विस्तार किया जा सकता है। कोर में हार्डवेयर की जगह सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए इस पर आवश्यक निवेश भी कम हो जाएगा। जियो ने नए रेडियो तरंगें तैयार की हैं और फिलहाल इस विषय पर विचार कर रही है कि वह स्वयं ही इसे तैयार करेगी या किसी स्थानीय या वैश्विक वेंडर से मंगाएगी।
