हो सकता है कि आपको इस बात का विश्वास न हो, लेकिन सच यही है आर्थिक मंदी ने कंपनियों के लिए कई मौके पैदा किए हैं।
मौजूदा समय में कारोबारी मॉडल में कुछ बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जिनमें प्रशिक्षण कॉलेज में छात्रों को नौकरी के लिए पहले ही काफी जानकारी दे दी जाती है।
कर्मियों की बड़ी संख्या की मांग को पूरा करने के चलते सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों ने इस चलन की शुरुआत की थी, लेकिन अब दूसरी कंपनियां भी इसमें मुनाफा देख रही हैं।
इनमें यूबी समूह की संबध्द एकीकृत आईटी और बीपीओ सेवाएं मुहैया कराने वाली यूबीआईसीएस इंक, एचसीएल इन्फोसिस्टम्स, पुणे की सीड इन्फोटेक, पुणे की ग्लोबल टैलेंट ट्रैक (जीटीटी) शामिल हैं।
पुणे की सीड की स्थापना 1994 में हुई थी और कंपनी ने इस महीने की शुरुआत में सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स इनक्यूबेशन सेंटर (एसपीआईसी) लॉन्च किया है। इस कार्यक्रम के तहत वे कंपनी में काम करने से पहले छात्रों को आईटी संबंधित (जैसे नेट, जावा आदि) प्रशिक्षण देंगे ताकि वे काम को जल्दी और आसानी से सीख लें। इस कार्यक्रम के तहत 20 छात्र प्रशिक्षण लेंगे।
इस प्रयास का उद्देश्य प्रशिक्षण समय और लागत को कम करना है जो कंपनियां अपने कर्मियों को प्रशिक्षण देने में लगाती हैं। मिसाल के तौर पर आईटी और बीपीओ क्षेत्र में कंपनियां उम्मीदवारों के प्रशिक्षण और दूसरी गतिविधियों में 1.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक खर्च करती हैं।
सीउ इन्फोटेक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी नरेंद्र बरहाटे का कहना है, ‘इस तरह के पाठयक्रम से हर छात्र पर कंपनियां 1 लाख रुपये से 2 लाख रुपये बचा सकती हैं। इसलिए हर हाल में यह हमारे लिए, ग्राहक और छात्रों के लिए जीत की स्थिति ही है।’
एसपीआईसी प्रशिक्षण कार्यक्रम की लागत 40,000 रुपये से 80,000 रुपये के बीच में है और इसमें तीन से चार महीने के सत्र के साथ कंपनी के ग्राहकों या उसकी परियोजनाओं पर 5 महीने का लंबा प्रशिक्षण भी है। पाठयक्रम के समाप्त होने के बाद, छात्रों को कंपनी में या समूह कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर प्रशिक्षु अभियंता के रोजगार मिलेगा।
जीटीटी ने पुणे में वर्ष 2008 के अंत में इंटेल कैपिटल और निजी इक्विटी फर्म हेलियन वेंचर्र्स के संयुक्त निवेश पर प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं और उसकी योजना देशभर में अपने केंद्र खोलने की है। जीटीटी में पाठयक्रमों की लागत 4,500 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक है।
जीटीटी छात्रों को प्रतिमाह 2,000 रुपये से लेकर 5,000 रुपये भत्ते के साथ प्रशिक्षण की सुविधा देती है। यह प्रशिक्षण बीपीओ, बैंकिंग और रिटेल क्षेत्र में दिया जाता है। जीटीटी की मुख्य कार्याधिकारी उमा गणेश का कहना है, ‘संस्थान बड़े-बड़े केंद्र बनाते हैं और युवाओं पर बड़ी रकम और समय खर्च करते हैं।
अब मंदी की वजह से कंपनियां एंट्री लेवल पर खर्च कम करने में लगी हुई है। पेशेवर पाठयक्रमों में स्नातक छात्रों के पास वह कौशल नहीं होता, जो उन्हें कंपनी में काम करते हुए दिखाना होता है और यहां हम उनकी मदद करते हैं।’ जीटीटी की पुणे विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी है और उसका उद्देश्य हर साल विभिन्न क्षेत्रों में 30,000 छात्रों को प्रशिक्षण देना है।
एसपीआईसी और जीटीटी का लक्ष्य कॉलेज और विश्वविद्यालयों के स्नातक छात्र हैं। यूबी समूह के ‘कैम्पस टु कॉर्पोरेट’ प्रयास ने पुणे के यशस्वी एजुकेशन सोसायटी, ट्रस्ट के साथ गठजोड़ किया है। इस गठजोड़ के तहत संस्थान छात्रों में से अच्छे कर्मियों का एक दल बनाया जाएगा और साथ समूह की नियुक्ति में बदलती जरूरतों को पूरा किया जाएगा।
यूबीआईसीएस के महाप्रबंधक (परिचालन और प्रौद्योगिकी) मनोज मोने का कहना है, ‘एक छात्र को अपनी रफ्तार बनाने में तीन महीने तक का वक्त लगता है। हमारे शोध में देखा गया है कि प्रबंधकों को नए नियुक्त हुए कर्मियों को प्रशिक्षित करने में मुश्किलें आती हैं। इसमें समय और पैसे की खपत दोनों शामिल है। इसलिए हमने साझेदारों की तलाश शुरू की और हमने अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम को यशस्वी के पाठयक्रम में शामिल कर लिया है।’
मनोज मोने का कहना है, ‘फिलहाल हम सिर्फ मानव संसाधन और संबंधित विषयों पर ही प्रशिक्षण दे रहे हैं, लेकिन हमारी योजना दूसरे क्षेत्रों, शहरों और संस्थानों तक पहुंचने की भी है।’ ये कार्यक्रम कंपनियों के लिए कितने उपयोगी हैं, इस बारे में एक बीपीओ के लिए नियुक्ति से जुड़े प्रबंधक संकेत सकपाल का कहना है, ‘अगर हमें प्रशिक्षित कर्मी भी मिलते हैं, परियोजनाओं से जुड़ा थोड़ा प्राथमिक प्रशिक्षण फिर भी उन्हें देना पड़ता है।
साथ ही ऐसे कर्मियों का एक अलग बैच बनाने के हमारे पास प्रशिक्षित कर्मी भी कम हैं। सिर्फ लागत को देखते हुए खासतौर पर ऐसे कर्मियों के लिए स्वतंत्र प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करने का सवाल ही नहीं उठता।’
बेशक आप पहले ही प्रशिक्षित है या अनुभवी हैं, लेकिन मौजूदा माहौल में नौकरी तलाशने वालों के लिए अहम बात तो यह है कि अपने रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए उनके पास कुछ खास जानकारी या कौशल होना चाहिए।
