यूनियन फॉर इन्फोर्मेशन ऐंड टेक्नोलॉजी इनेबल्ड सर्विसेज (यूनाइट्स) की भारतीय इकाई कुछ भारतीय और बहुराष्ट्रीय आईटी कंपनियों की ओर से कार्य के दौरान घंटे बढ़ाए जाने के फैसले से खफा है।
यूनियन इस ‘मनमानापूर्ण नीति’ के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर करने की योजना बना रही है। यूनियन का कहना है कि लंबे कार्य घंटों के लिए बाध्य किया जाना इंडियन फैक्टरीज एक्ट, 1948 में वांछित रोजाना आठ घंटे की कार्य अवधि का उल्लंघन है।
आईटी-बीपीओ क्षेत्र में देश की पहली यूनियन यूनिटेस ‘इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस’ (इंटक) से संबद्ध है। यूनियन का दावा है कि कुल आईटी-बीपीओ कर्मियों में से लगभग 10 फीसदी सदस्य के रूप में उसके साथ जुड़े हुए हैं और पिछले दो महीनों में इस क्षेत्र में छंटनी के संकट के कारण यह संख्या तेजी से बढ़ रही है।
यह ‘यूनियन नेटवर्क इंटरनेशनल’ (यूएनआई) का भी हिस्सा है जिसके 163 देशों के 13 विभिन्न क्षेत्रों में 1.6 करोड़ से अधिक श्रमिक हैं।
भारत में यूनाइट्स के महासचिव आर कार्तिक शेखर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘भारत में श्रम कानून आठ घंटे के कार्य दिवस की अनुमति देते हैं, लेकिन देश में ज्यादातर आईटी कंपनियों में लोग रोजाना स्वेच्छा से 12 घंटे से अधिक समय तक काम कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ओर से रोजाना के कामकाजी घंटे 8 से बढ़ा कर लगभग 10 घंटे किया जाना आधिकारिक रूप से आईटी कंपनियों द्वारा दोहरा मानदंड है।
ये आईटी कंपनियां जहां एक तरफ कम कार्य का बहाना बना कर लोगों को नौकरी से निकाल रही हैं, वहीं दूसरी तरफ ज्यादा काम बता कर कर्मचारियों को ज्यादा काम करने के लिए बाध्य किया जा रहा है।