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इंटरनेट पर बड़ी कंपनियों के दबदबे के पक्ष में नहीं है भारत

Last Updated- December 11, 2022 | 10:51 PM IST

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बुधवार को मेटा (पूर्व में फेसबुक) फ्यूल फॉर इंडिया 2021  इवेंट में कहा कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करने को लेकर बेहद ‘सावधान’ रहेगी कि इंटरनेट प्रतिस्पर्धी दबावों के लिहाज से स्वतंत्र और खुला रहे तथा बड़ी कंपनियों का वर्चस्व न हो। मंत्री ने कहा, ‘समय के साथ हमने यह भी महसूस किया है कि किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह इंटरनेट की भी अपनी चुनौतियां हैं और अच्छी चीजों के साथ बुरी चीजें जुड़ ही जाती हैं। सरकार का कहना यह है कि हम न सिर्फ  एक अरब भारतीयों को जोडऩा चाहते हैं बल्कि इंटरनेट भी खुला रहना चाहिए।’ चंद्रशेखर फेसबुक इंडिया के प्रमुख अजित मोहन के एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि निजी क्षेत्र की प्रौद्योगिकी कंपनियां देश में शासन और सेवाओं के डिजिटलीकरण के सपने को साकार करने के सरकार के लक्ष्य में कहां मुफीद हैं।
चंद्रशेखर ने कहा, ‘हम निजी क्षेत्र, कंपनियों मसलन मेटा, अन्य विदेशी कंपनियों, उद्यमियों के साथ साझेदारी में पूरा योगदान देंगे। हम सभी भारतीयों को समानता और मौके देने का विस्तार करने के लिए साझेदारी करेंगे। हम यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इंटरमीडियरी या अन्य मंच जैसे कि फेसबुक, उपयोगकर्ताओं के साथ पारस्परिक सम्मान और जवाबदेही की संस्कृति तैयार करें।’
फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां पिछले कुछ सालों में यूरोप और अमेरिका की तरह ही भारत की प्रतिस्पर्धा निगरानी तंत्र के घेरे में आ गई हैं। उदाहरण के लिएए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने इस वर्ष यह जांच करने की मांग की कि क्या फेसबुक के स्वामित्व वाली व्हाट्सऐप की एक नई गोपनीयता नीति से अधिक डेटा संग्रह करने के साथ ही उपयोगकर्ताओं को जोडऩे के लिए लक्षित विज्ञापनों पर जोर देते हुए ग्राहकों के ‘पीछे पड़ा’ जाएगा और इसलिए इसे स्थिति का कथित दुरुपयोग ही कहा जा सकता है।
2019 के बाद से ही सीसीआई द्वारा यह निर्धारित करने के लिए चल रही जांच चल रही है कि क्या गूगल अपनी स्थिति का फायदा उठाते हुए ऐप निर्माताओं को विशेष रूप से इन-ऐप खरीद के लिए कंपनी की बिलिंग प्रणाली का उपयोग करने और भारत में बेचे जाने वाले ऐंड्रॉयड स्मार्टफोन के साथ कंपनी के पेमेंट ऐप को लेने के लिए मजबूर कर रहा था। चंद्रशेखर ने यह भी कहा कि नीति निर्माण के साथ-साथ रणनीतिक अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी विकास में भी सरकार की भूमिका है और यह उद्यमशीलता को डिजिटल अर्थव्यवस्था के विस्तार में एक बड़े प्रेरक के रूप में देखती है।
उन्होंने कहा, ‘भारत में और अधिकांश अन्य प्रौद्योगिकी चालित अर्थव्यवस्थाओं में उद्यमी ही अगले चरण में ले जाने की कोशिश करते हैं और वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने के साथ ही अर्थव्यवस्था का विस्तार करते हैं और हम भारत में भी यही देख रहे हैं।’ देश के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में आत्मविश्वास और ऊर्जा दिखाई दे रही है और इससे इस बात की पुष्टि होती है कि उद्यमिता आर्थिक विकास, समृद्धि और मौके के लिए महत्त्वपूर्ण प्रेरक तत्त्व है। उन्होंने कहा, ‘उद्यमिता से ही ऊर्जा मिलेगी और यह एक तरह से प्रेरक तत्त्व होगा कि हम कैसे डिजिटल अर्थव्यवस्था का विस्तार करेंगे जिसको लेकर प्रधानमंत्री की महत्त्वाकांक्षा यह है कि यह बहुत जल्द एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाए।
सामान्य पहलू यह है कि सरकार, उद्यमशीलता ऊर्जा, नवाचार और रचनात्मकता के साथ साझेदारी में काम करेगी और यह भारत के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था जीतने का फॉर्मूला होगा।’

First Published - December 15, 2021 | 11:20 PM IST

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