ऐसे समय पर जब महामारी ने लोगों को आर्थिक रूप से परेशानी में डाल दिया है तब ऋण देने वाले फर्जी एप्लीकेशनों की भरमार हो गई है जो परेशान कर्जदारों को बहुत ऊंची ब्याज दरों पर ऋण देने के लिए अपने जाल में फंसा रहे हैं। ये कर्ज का पुनर्भुगतान नहीं होने पर कर्जदारों को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने की धमकी भी देते हैं।
अनैतिक ऋणदाताओं का यह गिरोह कई देशों से आ रहा है। भारत के अंदर से भी ऐसे गिरोह सक्रिय हैं जिन्हें हम सीधे तौर पर चीनी ऐप के तौर पर जानते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से इन ऐप को समर्थन देने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर सख्ती दिखाने के बावजूद इनको रोक पाना मुश्किल हो रहा है।
मोटे तौर पर ऐसा इसलिए है कि कर्जदारों को फर्जी ऋण तंत्र की जानकारी नहीं है और जब तक उन्हें इसकी भनक लगती है तब तक देर हो चुकी होती है और इस कारोबार में जो लोग सभी नियम कायदों का मानकर काम कर रहे हैं उनके पास आवाज उठाने के लिए कोई मंच नहीं है।
30 से 40 वर्ष के आयुवर्ग के कुछ मुख्य कार्याधिकारी इस गड़बड़ी को दुरुस्त करने की कोशिश में जुटे हैं। वे फिनटेक एसोसिएशन फॉर कंज्यूमर एंपावरमेंट (फेस) नाम से एक साझा औद्योगिक संघ में सभी तकनीक केंद्रित, विनियमित ऋणदाताओं को शामिल कर रहे हैं ताकि ऋण देने वाली एक साझी नैतिक व्यवस्था की आचार संहिता विकसित की जा सके और इसके माध्यम से ग्राहकों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया जा सके। उन्हें इसके माध्यम से बताया जाएगा कि किस प्रकार से वे अपने स्मार्टफोन में आने वाले इन ऋण धोखेबाजों की गिरफ्त से बचे रहे सकते हैं।
इसके अलावा, फेस उद्योग की आवाज बनकर सरकार और नियामकों से मिलकर इसके लिए नीति बनाने में भी सहयोग करेगा। इस मंच का उपयोग इस क्षेत्र में हो रहे शोध को प्रचारित करने के लिए भी किया जा सकता है और यह इंडियन बैंक एसोसिएशन या माइक्रोफाइनैंस इंस्टीट्यूशंस नेटकवर्क (एमएफआईएन) की तरह उद्योग के एक लॉबी समूह के तौर पर कार्य करेगा।
फेस के संस्थापक सदस्य देश की शीर्ष पांच फिनटेक ऋणदाता कंपनियों के संस्थापक भी हैं। इनमें अर्लीसैलरी के अक्षय मेहरोत्रा, लोनटैप के सत्यम कुमार, किस्त के रणवीर सिंह, कैसही के योगी सदाना, क्रेजीबी के मधुसुदन ई शामिल हैं। मोटे तौर पर बाजार के 75 फीसदी पर इन पांच कंपनियों का नियंत्रण है। विगत तीन से चार वर्ष में इन कंपनियों ने प्रत्यक्ष या साझेदारों के तौर पर 21,000 करोड़ रुपये से अधिक रुपये का वितरण किया है। देश में 19,000 जगहों पर इनके 45 लाख ग्राहक हैं। फिनटेक ऋण उद्योग लगातार बढ़ता जा रहा है और ये कंपनियां हमेशा शीर्ष पर नहीं बनी रह सकती हैं लेकिन ये चाहती हैं कि भविष्य के लिए एक संयुक्त आवाज तैयार की जाए।
संघ में तीन शासकीय परिषद के सदस्य भी हैं। इनमें श्रीनाथ श्रीधरण रणनीतिक परामर्शदाता और स्वतंत्र बाजार टिप्पणीकर्ता हैं, राम रस्तोगी स्वतंत्र डिजिटल भुगतान रणनीतिकार हैं और अवतार मोंगा स्ट्राइड वेंचर्स के प्रबंध पार्टनर हैं।
अर्लीसैलरी के मेहरोत्रा ने कहा, ‘उद्योग का स्वशासन जरूरी और समय की आवश्यकता है। एक जिम्मेदार उद्योग के रूप में हमें सबप्राइम ऋण उत्पादों और कंपनियों को उद्योग से बाहर करने और पूंजी तथा उपभोक्ता उत्पादों के लिए बैंकिंग तथा एनबीएफसी में अपनाए जा रहे व्यवस्थागत नियम को अपनाने की जरूरत है।’
मेहरोत्रा ने कहा, ‘हम फेस को खड़ा कर उद्योग के तौर पर एक संदेश देना चाहते हैं और हमारा साझा संदेश यह है कि हम उपभोक्ताओं के सर्वोत्तम हित की सुरक्षा करना चाहते हैं।’