इन्वेस्को डेवलपिंग मार्केट्स फंड ने जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (जेडईईएल ) और इसके तीन निदेशकों के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) में याचिका दायर की है। कंपनी ने अपनी याचिका में जेडईईएल के निदेशक मंडल में बदलाव और अपने प्रतिनिधियों को इसमें शामिल करने का अनुरोध किया है। याचिका में जेडईईएल के मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक पुनीत गोयनका का नाम भी शामिल है। जेडईईएल में इन्वेस्को की 18 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
एनसीएलटी कंपनी की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगी। गोयनका के अलावा जेडईईएल के चेयरमैन आर गोपालन और निदेशक विवेक मेहरा को भी पक्षकार बनाया गया है। जब इस बारे में जेडईईएल से संपर्क साधा गया तो उसके प्रवक्ता ने कहा, ‘कंपनी इन्वेस्को डेवलपिंग मार्केट्स फंड और ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड्स द्वारा जल्दबाजी में उठाए गए कदमों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती है। कंपनी का निदेशकमंडल कानूनी दायरे में कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है और उसका ध्यान कारोबार बढ़ाने और शेयरधारकों के हितों की सुरक्षा पर है। कंपनी आवश्यक कदम उठाने की तैयारी कर रही है।’
इन्वेस्को और ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड्स ने 11 सितंबर को जेडईईएल के निदेशकमंडल में अपने छह प्रतिनिधियों को शामिल करने के लिए एक आपात बैठक बुलाने की मांग की थी। इस संबंध में लिखे पत्र में इन्वेस्को ने गोयनका और दो अन्य निदेशकों-अशोक कुरियन और मनीष चोखानी- को निदेशमंडल से हटाने की मांग की थी। कंपनी के शेयरधारकों की सालाना आम बैठक से ठीक एक दिन पहले कुरियन और चोखानी ने इस्तीफा दे दिया था।
इसके कुछ दिनों बाद ही जेडईईएल ने सोनी पिक्चर्स के साथ विलय की घोषणा की थी। इस विलय के बाद सोनी के शेयरधारकों के पास बहुलांश हिस्सेदारी आ गई और जी की हिस्सेदारी कम हो गई। हालांकि सुभाष चंद्रा परिवार को नई इकाई में गैर-प्रतिस्पद्र्धा फीस के रूप में 2 प्रतिशत अधिक हिस्सेदारी मिली जिससे उनकी कुल हिस्सेदारी 4 प्रतिशत हो गई। कानूनी प्रावधानों के अनुसार जी के निदेशकमंडल को विशेष आम बैठक बुलाने पर तीन हफ्तों के भीतर निर्णय लेना होगा और यह समय सीमा फिलहाल समाप्त नहीं हुई है। इन्वेस्को और ओपनहीमर फंड्स ने 23 सितंबर को जेडईईएल निदेशमंडल से आपात आम बैठक बुलाने की जिम्मेदारी का पालन करने के लिए कहा था।