ब्रिटेन की दिग्गज दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका भारत में कई क्लीनिकल परीक्षण और कैंसर से जुड़ी बहुत-सी परियोजनाओं पर काम कर रही है। कंपनी अपने वैश्विक उत्पाद पेश करने की रफ्तार बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी लाने का प्रयास कर रही है। एस्ट्राजेनेका फार्मा इंडिया के प्रबंध निदेशक और कंट्री प्रेसिडेंट संजीव पांचाल ने चेन्नई में शाइन जैकब के साथ बातचीत के दौरान कंपनी की भावी योजनाओं के बारे में चर्चा की। प्रमुख अंशः
हमने पिछले साल वैश्विक स्तर पर लगभग 45 अरब डॉलर की बिक्री हासिल की और करीब 10 अरब डॉलर का निवेश अनुसंधान और विकास में किया। हमारा मिशन वैश्विक स्तर पर शुरू की गई नई परिसंपत्तियों को जल्द से जल्द भारत में लाना है। इससे पता चलेगा कि हम इस वैश्विक महत्वाकांक्षा में कितना योगदान कर सकते हैं।
मसलन, साल 2023 में हमने ऐलान किया था कि हम साल 2025 तक भारत में 15 नई पेशकश या नए कांबिनेशन लाएंगे। हमें उन 15 में से नौ को उतारने की मंजूरी मिल गई है। हम इन्हें भारत ला रहे हैं और इसी से वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को योगदान मिलेगा।
पिछले 45 साल में हमने वैश्विक नवाचार और प्रौद्योगिकी केंद्र (जीआईटीसी) समेत अपनी मौजूदगी को मजबूत किया है। यह केंद्र दवाओं को तेजी से लाने में मदद करता है और 100 से ज्यादा देशों का सहयोग करता है। हम इस बाजार को भारत के लिए भारत के रूप में और ऐसे केंद्रों के जरिये विश्व के लिए भारत के रूप में देखते हैं। हम विज्ञान में अग्रणी बनना चाहते हैं।
हमारा दीर्घकालिक दृष्टिकोण फेफड़ों के कैंसर से मौत को खत्म करना है। जब देर से कैंसर का पता चलता है तो इससे निपटने के लिए हमारे पास नई दवाएं हैं।
हमें यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कैंसर का शुरुआती अवस्था में ही पता चल जाए। इसके लिए हम प्रौद्योगिकी ला रहे हैं। मिसाल के तौर पर हमने कर्नाटक और गोवा सरकारों के साथ साझेदारी की है ताकि क्योर डॉट एआई द्वारा विकसित आर्टिफिशल इंटेलिजेंस पर आधारित फेफड़ों के कैंसर की जांच करने वाली प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा सके। यह प्रौद्योगिकी किसी मरीज की छाती के एक एक्स-रे का इस्तेमाल करते हुए फेफड़ों की 29 बीमारियों की जांच करती है।
हमने गोवा में यही प्रारूप अपनाया है और दूसरे राज्यों में भी इसका विस्तार कर रहे हैं। इसका हम खुदरा बाजार में क्रियान्वयन कर रहे थे और अब राज्य सरकारों के साथ भी गठजोड़ कर रहे हैं।
चूंकि हमारे पास कई नवीन दवाइयां हैं। इसलिए क्लीनिकल परीक्षणों की संख्या बढ़ रही है। अब हमारे पास ऑन्कोलॉजी और नए संकेतों के लिए क्लीनिकल परीक्षण चल रहे हैं। हमारे पास श्वसन, हृदय और मेटाबोलिज्म में नई संपत्तियां हैं और अभी हम 50 से ज्यादा क्लीनिकल परीक्षण रहे हैं।
हमारी रणनीति भारत में और ज्यादा क्लीनिकल परीक्षण करने की है ताकि नवीन उत्पादों की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके। हाल में सरकार ने ऐसे नियम पेश किए हैं, जो कंपनियों को प्रमुख देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूरोपीय संघ) में नियामकों की मंजूरी मिलने पर भारत में अपने उत्पादों को बेचने के लिए तेजी से नियामकीय मंजूरी की सुविधा देते हैं। ऐसी नीतियों से हर कंपनी को फायदा हो रहा है।
नीतिगत समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत काफी हद तक पहुंच से बाहर वाला बाजार है। नीतियों को दो स्तरों – केंद्र और राज्य पर लागू किया जाता है। केंद्रीय स्तर पर हम रोगी संबंधी कानूनों में संशोधन और कई अन्य बदलाव देख रहे हैं। हम कैंसर उपचार में अनुकूल नीतियों की उम्मीद करते हैं जिसमें जीएसटी में कटौती से मरीजों को लाभ हो रहा है। अनुकूल नीतियां दिख रही हैं। लेकिन हमें राज्य स्तर पर और ज्यादा समर्थन की जरूरत है क्योंकि स्वास्थ्य सेवा का ज्यादा खर्च वहीं होता है।
पिछली तिमाही में हमारे राजस्व में वृद्धि हुई। हमारा कर पूर्व लाभ (असाधारण मदों को छोड़कर) भी मजबूत रहा। हमने पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में 29 प्रतिशत की वृद्धि देखी और हम पिछली तिमाही में भी सकारात्मक रुख देख रहे हैं। लाभ में सुधार के लिए हम तेजी से नवीन दवाओं को लाने और अपनी दवाओं तक पहुंच में सुधार करने पर ध्यान दे रहे हैं। विकास और लाभ उसी के परिणाम हैं।