ऑक्सफर्ड इकनॉमिक्स के हालिया अध्ययन में कहा गया है कि भारत में 7,00,000 क्रिएटरों एवं पार्टनरों को यूट्यूब से वित्तीय सहारा मिला है। भारत में इसका 15 साल पूरा हो चुका है। यूट्यूब ने भारत में तगड़ी प्रतिस्पर्धा सामना करते हुए अपना पांव जमाया है। यूट्यूब के भारतीय कारोबार के निदेशक ईशान जॉन चटर्जी ने शिवानी शिंदे की बातचीत के मुख्य अंश:
अगर मैं पिछले दो-तीन वर्षों पर नजर डालूं तो दो चीजें दिखती हैं, जो काफी दिलचस्प हैं। पहला, छोटे प्रारूप में वीडियों का चलन बढ़ा है। सबसे दिलचस्प बात है कि अब जो तकनीक फोन पर उपलब्ध है वह हर किसी को क्रिएटर बनने में समर्थ करती है।
यूट्यूब शॉर्ट्स के औसत दैनिक व्यूज में सालाना आधार पर (जुलाई 2023 तक) 120 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। भारत में दैनिक लॉगइन करने वाले दर्शकों की संख्या में भी 30 फीसदी का इजाफा हुआ है।
दूसरा बड़ा रुझान लिविंग रूम में यूट्यूब की खपत में वृद्धि से संबंधित है। वास्तव में पिछले पांच साल के दौरान भारत में कनेक्टेड टीवी का चलन तेजी से बढ़ा है।
इसके अलावा एक बड़ी चीज यह भी है कि यूट्यूब से लोगों का जुड़ाव न केवल क्रिएटर बनने के लिए बल्कि दर्शक के लिहाज से भी बढ़ा है। देश के हर कोने से इसके दर्शकों की संख्या बढ़ रही है। यह विविधता काफी दिलचस्प और रोमांचक है। मैं समझता हूं कि लिविंग रूम में यूट्यूब की खपत में वृद्धि निश्चित तौर पर जारी रहेगी।
यूट्यूब पार्टनर कार्यक्रम के दुनिया भर में अब 20 लाख से अधिक सदस्य हैं। लाखों क्रिएटरों ने 2022 में पहली बार यूट्यूब पर कमाई की थी। इसी साल मार्च में हमने घोषणा की थी कि वैश्विक स्तर पर यूट्यूब के सभी उत्पादों से हमारा राजस्व 40 अरब डॉलर था।
पिछले तीन वर्षों के दौरान हमने वैश्विक स्तर पर अपने पार्टनरों को 50 अरब डॉलर का भुगतान किया है। जहां तक भारत का सवाल है तो यूट्यूब ने इसी साल फरवरी में शॉर्ट के जरिये कमाई की घोषणा की थी। उसके बाद हर महीने भुगतान में वृद्धि हुई है। दिसंबर 2022 में भारत में फैन फंडिंग उत्पादों से अधिकांश राजस्व अर्जित करने वाले चैनलों की संख्या में पिछले वर्ष के मुकाबले 10 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
मैं भारत के खास आंकड़े साझा नहीं कर सकता, मगर यह मॉडल गति पकड़ रहा है। वैश्विक स्तर पर हमने हाल में यूट्यूब पर 8 करोड़ शुल्क वाले सबस्क्राइबरों और ट्रेलरों की घोषणा की है। डेढ़ साल पहले यह आंकड़ा करीब 5 करोड़ था। भारत में भी इन मॉडलों की मांग बढ़ रही है।
अगले तीन वर्षों के दौरान मैं जिन तीन प्रमुख रुझानों को लेकर काफी आशान्वित हूं उनमें शॉर्ट वीडियो, कनेक्टेड टीवी और विभिन्न भाषाओं में सामग्री का विकास। मगर एआई और जेनरेटिव एआई (जेनएआई) की बढ़ती लोकप्रियता काफी रोमांचक है।
जेनएआई आने वाले वर्षों के दौरान वीडियो सामग्री में क्रांति ला देगी। यह मुख्य तौर पर तीन काम करेगी। पहला, यह ड्रीम स्क्रीन जैसे फीचर के जरिये रचनात्मक अभिव्यक्ति के नए तरीके सृजित करेगी जो फिलहाल बीटा परीक्षण में है। दूसरा, यह यूट्यूब क्रिएट ऐप जैसी सुविधाओं के जरिये क्रिएशन को काफी आसान बना देगी।
तीसरा, यह अलाउड जैसी सुविधाओं के जरिये क्रिएटरों के लिए अधिक से अधिक दर्शकों तक पहुंचना आसान बना देगी।
पहले के अधिकांश क्रिएटर अब भी हमारे साथ जुड़े हैं। लेकिन शॉर्ट वीडियो की श्रेणी आने से देश भर के लोग विशेषतौर पर छोटे शहरों के लोग इससे जुड़ रहे हैं। इसके अलावा वीडियो बनाने की बाधाएं भी अब कम हो गईं हैं। अब सब कुछ फोन से संभव है।
हम चाहते हैं कि हमारी पहचान एक ऐसे मंच के तौर पर हो जहां वीडियो से जुड़ी सभी चीजें संभव हैं। इसका अर्थ यह है कि हमें चीजें आसान बनानी है ताकि क्रिएटरों को वीडियो बनाने में मजा आए और वे कमाई भी कर सकें।
हम चीजों को आसान ही बनाए रखना चाहते हैं और यह ऐसी जगह है जहां आसानी से शुरुआत हो सकती है। हमारे पास पैसे कमाने के कई विकल्प हैं। कई लोग नए मंच के लिए हमारे मंच को छोड़ रहे होंगे लेकिन बड़ी तादाद में लोग हमसे जुड़ भी रहे हैं।
पहले गेमिंग, खान-पान, सौंदर्य जैसे विषय ज्यादा मशहूर थे लेकिन अब तथ्य आधारित चैनल, प्रेरक चैनल भी बन रहे हैं। इसके अलावा शायरी और हिंदी कविता से जुड़े चैनलों की भी शुरुआत हो रही है।
चालू वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में हमने भारत में करीब 20 लाख वीडियो हटाए और तीसरी तिमाही में करीब 22 लाख वीडियो हटाए हैं। हमने एक दिशानिर्देश जारी किए हैं जिससे यह तय होता है कि हमारे मंच पर किस तरह की सामग्री की अनुमति दी जाएगी। अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तब हम इस पर कार्रवाई करते हैं।