भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने रविवार को भारतीय स्टार्टअप कंपनियों को अपना मूल्यांकन उचित और संगठन एवं उसके संस्थापक के लक्ष्यों को अलग-अलग रखने के लिए कहा है। सीआईआई ने रविवार को जारी किए स्टार्टअप के लिए अपने कॉरपोरेट गवर्नेंस चार्टर में कहा है, ‘स्टार्टअप कंपनियां अल्पकालिक मूल्यांकन के बजाय लंबे समय के लिए मूल्य निर्माण की कोशिश कर सकती हैं। व्यवसाय का मूल्यांकन जहां तक हो सके वहां तक उचित रखा जा सकता है।’
उद्योग निकाय ने कहा कि स्टार्टअप के लिए चार्टर का उद्देश्य उन्हें जिम्मेदार कॉरपोरेट नागरिक बनाना और खुद को अच्छी तरह से शासित होने के लिए इसे अपने हितधारकों के साथ साझा करने में सक्षम बनाना है। साथ ही कहा, ‘कारोबारी इकाइयों की जरूरतें उसके संस्थापकों की जरूरतों से अलग किया जा सकता है, लेकिन संस्थापकों, प्रवर्तकों, शुरुआती निवेशकों के लक्ष्यों एवं जरूरतों को दीर्घकालिक लक्ष्यों के साथ भी जोड़ा जा सकता है।’
चार्टर में यह भी कहा गया है कि स्टार्टअप कंपनियों को संस्थापकों की संपत्ति से अलग संगठन की संपत्ति के साथ एक अलग कानूनी इकाई रखना चाहिए। इसमें कहा गया है, ‘कंपनी के संस्थापक, कार्यकारी प्रबंधन और कंपनी बोर्ड के बीच विश्वास वाले कामकाज को बढ़ावा देना चाहिए।’ साथ ही कहा गया है कि पर्याप्त आंतरिक नियंत्रण और तीसरे पक्ष के प्रति जवाबदेही भी बनाए रखना जरूरी है। चार्टर में स्टार्टअप कंपनियों की बाहरी ऑडिटिंग पर भी जोर दिया गया है।
इसमें कहा गया है, ‘उचित बहि खाते रखना, ऑडिट की स्वतंत्रता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शी नीतियां बनाना भी जरूरी है।’ चार्टर में कहा गया है, ‘किसी बाहरी स्वतंत्र ऑडिटर से सालाना वित्तीय विवरणों की जांच से हितों के टकराव कम करने में मदद मिलती है।’
सीआईआई ने कहा है कि स्टार्टअप कंपनियों को हितों के टकराव रोकने के लिए बोर्ड सदस्यों और प्रबंधन के प्रमुख कर्मचारियों के बारे में समय-समय पर जानकारी देनी चाहिए। चार्टर के एक हिस्से के तौर पर सीआईआई ने एक ऑनलाइन सेल्फ इवैलुएटिव गवर्नेंस स्कोरकार्ड पेश किया है। इसे स्टार्टअप कंपनियां गवर्नेंस के मौजूदा स्तर और इसकी प्रगति समझने के लिए भर सकती हैं।
सीआईआई के प्रेसिडेंट और टीवीएस सप्लाई चेन सॉल्यूशंस लिमिटेड के चेयरमैन आर दिनेश ने कहा, ‘कंपनियों को अपने सभी हितधारकों के बीच विश्वास बनाने, व्यवसायों को सर्वोत्तम श्रेणी के कॉरपोरेट कोड अपनाने की आवश्यकता है। ये कोड प्रचलित गवर्नेंस प्रथाओं की निगरानी, मूल्यांकन और सुधार के लिए एक मानक तैयार करते हैं।’
चार्टर ने स्टार्टअप कंपनियों के जीवनचक्र पर आधारित दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। इन्हें शुरुआत, प्रगति, वृद्धि और सार्वजनिक होना के तौर पर बांटा गया है।