वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को भारतीय उद्योगों को आयात शुल्क रियायतों के मामले में अनिच्छा को लेकर आगाह करते हुए कहा कि इससे ब्रिटेन (यूके) और यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
गोयल ने कहा, ‘उद्योग जगत अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच चाहता है, लेकिन जिस भी उद्योग से हम बात करते हैं, वे संरक्षण चाहते हैं। उन वस्तुओं को भारत में नहीं आना चाहिए । ऐसे में हम ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता कैसे करेंगे?
उद्योग जगत भारत द्वारा दी जा रही शुल्क रियायतों के पक्ष में नहीं है, लेकिन खुद हर चीज पर शून्य शुल्क चाहता है। क्या इस तरह से एफटीए होगा? आपकी तरफ से क्या सहयोग मिल रहा है?’केंद्रीय बजट 2024-25 के बाद उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से आयोजित सम्मेलन में बोलते हुए गोयल ने यह कहा।
भारत और ब्रिटेन ढाई साल से ज्यादा समय से व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। दोनों पक्ष इस साल की शुरुआत में समझौते को इच्छुक थे। हालांकि भारत में आम चुनाव और उसके बाद ब्रिटेन में चुनाव के कारण बातचीत में देरी हुई है। दोनों देशों के बीच बातचीत में उल्लेखनीय प्रगति हुई है,लेकिन कुछ वस्तुओं और सेवाओं की बाजार तक पहुंच, निवेश समझौता व कुछ अन्य मसलों का समाधान नहीं हो सका है।
इसी तरह से 27 देशों वाले यूरोपीय संघ के साथ एफटीए वार्ता शुरू हुए 2 साल से ज्यादा वक्त हो चुका है, लेकिन इसकी रफ्तार बहुत धीमी है। प्रस्तावित एफटीए पर अगले दौर की वार्ता सितंबर में होने की उम्मीद है। गोयल ने आगे कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने अब तक 4 एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं और साझेदारों के साथ गहन बातचीत के बाद ऐसा किया गया। उन्होंने कहा कि भारत ने आरसीईपी से बाहर निकलने का साहसिक फैसला किया था, क्योंकि इस बातचीत का हिस्सा बनना बेहतर फैसला नहीं था।
मंत्री ने एफटीए में तेजी लाने के लिए उद्योगों के सहयोग का अनुरोध किया और कहा कि वे गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) का इस्तेमाल अपने लाभ के लिए करें और साथ ही अपने मानक बढ़ाएं।