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केंद्र सरकार ने मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड बढ़ाकर ₹70,000 करोड़ किया, देश को शिपबिल्डिंग हब बनाने की तैयारी

सरकार ने मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड 70,000 करोड़ कर जहाज निर्माण, बंदरगाह ढांचे और तटीय शिपिंग में निवेश बढ़ाकर 2030 तक भारत को वैश्विक शिपबिल्डिंग हब बनाने का लक्ष्य तय किया।

Last Updated- August 15, 2025 | 3:33 PM IST
cargo ship
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

Maritime Development Fund: केंद्र सरकार ने समुद्री क्षेत्र को मजबूत करने के लिए मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड (MDF) को बढ़ाकर 70,000 करोड़ रुपये करने का फैसला किया है। यह राशि फरवरी के बजट में घोषित रकम से 2.8 गुना ज्यादा है। इस फंड का मकसद जहाज निर्माण, मरम्मत, सहायक उद्योगों, शिपिंग टनेज बढ़ाने और बंदरगाहों से जुड़े ढांचे को विकसित करना है। न्यूज वेबसाइट द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बढ़े हुए फंड को वित्त मंत्रालय के व्यय सचिव की अध्यक्षता वाली व्यय वित्त समिति (EFC) से मंजूरी मिल चुकी है। जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी भी मिलने की उम्मीद है।

इस फंड में 49 फीसदी हिस्सा सरकार और सरकारी बंदरगाहों से आएगा, जो रियायती पूंजी के रूप में होगा। बाकी 51 फीसदी पूंजी बहुपक्षीय और द्विपक्षीय कर्जदाताओं के साथ-साथ सॉवरेन फंड्स से जुटाई जाएगी। फरवरी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस फंड की घोषणा करते हुए कहा था कि यह समुद्री क्षेत्र की पूरी वैल्यू चेन को लंबी अवधि के लिए सस्ती पूंजी मुहैया कराएगा। अनुमान है कि 2030 तक यह फंड 1.3 से 1.5 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष निवेश लाएगा और 11 लाख नौकरियां पैदा करेगा।

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2047 तक बड़े निवेश की जरूरत

रिपोर्ट के अनुसार, भारत के समुद्री क्षेत्र को 2047 तक 885 से 940 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। इसमें 388 अरब डॉलर शिपिंग टनेज बढ़ाने, 260 अरब डॉलर ग्रीन जहाजों, 224 अरब डॉलर अगली पीढ़ी के बंदरगाहों, 18 अरब डॉलर वैश्विक जहाज निर्माण और मरम्मत हब बनाने, 8.82 अरब डॉलर तटीय और अंतर्देशीय शिपिंग की हिस्सेदारी बढ़ाने और 1.65 अरब डॉलर क्रूज टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए होंगे। भारत का लक्ष्य 2030 तक जहाज निर्माण में दुनिया के टॉप-10 और 2047 तक टॉप-5 देशों में शामिल होना है, जहां उसका मुकाबला दक्षिण कोरिया, जापान और चीन जैसे देशों से होगा।

हाल ही में संसद के मॉनसून सत्र में मर्चेंट शिपिंग बिल, कोस्टल शिपिंग बिल, कैरिज ऑफ गुड्स बिल और बिल्स ऑफ लैडिंग बिल पास किए गए। इसके अलावा, 117 साल पुराने इंडियन पोर्ट्स एक्ट, 1908 को बदलने के लिए इंडियन पोर्ट्स बिल को लोकसभा ने मंजूरी दी। EFC ने जहाज निर्माण के लिए वित्तीय सहायता योजना को भी नया रूप देने, भारतीय यार्डों में जहाज तोड़ने के लिए क्रेडिट नोट तंत्र, जहाज निर्माण क्लस्टर विकसित करने और बड़े जहाजों को इन्फ्रास्ट्रक्चर का दर्जा देने की मंजूरी दी है।  

उत्तर-पूर्व पर भी सरकार का विशेष ध्यान है। जुलाई में 5,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा की गई, जिसमें 1,000 करोड़ रुपये की अंतर्देशीय जलमार्ग परियोजनाएं, नए कार्गो टर्मिनल, 299 करोड़ रुपये की पर्यटक जेटी और 85 सामुदायिक जेटी शामिल हैं।

First Published - August 15, 2025 | 3:23 PM IST

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