प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से देश को संबोधित करते हुए कहा कि महत्वपूर्ण खनिजों (क्रिटिकल मिनरल्स) में आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि चाहे ऊर्जा क्षेत्र हो, उद्योग हो, रक्षा हो या फिर तकनीक का कोई भी क्षेत्र, महत्वपूर्ण खनिज हर जगह अहम भूमिका निभाते हैं। पीएम ने बताया कि दुनिया अब इन खनिजों की अहमियत को समझने लगी है, जो पहले ज्यादा ध्यान में नहीं थे। भारत भी इस दिशा में तेजी से कदम उठा रहा है।
मोदी ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (NCMS) शुरू किया है, जिसके तहत 1,200 से ज्यादा जगहों पर खोज का काम चल रहा है। यह मिशन 2024-25 से 2030-31 तक चलेगा। इसके लिए सरकार ने 16,300 करोड़ रुपये का बजट रखा है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSU) और अन्य साझेदारों से 18,000 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब चीन द्वारा निर्यात पर पाबंदी के कारण भारत में दुर्लभ मिट्टी के चुम्बकों (रेयर अर्थ मैग्नेट) की कमी हो रही है। बता दें कि दुनिया के 90 फीसदी से ज्यादा रेयर अर्थ मैग्नेट चीन में बनते हैं।
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राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन के तहत कई बड़े लक्ष्य रखे गए हैं। सरकार 50 विदेशी खनिज संपत्तियों को हासिल करने की योजना बना रही है। इसके अलावा, महत्वपूर्ण खनिजों की पूरी वैल्यू चेन में 1,000 पेटेंट दाखिल करने और 10,000 कुशल पेशेवर तैयार करने का लक्ष्य है। मिशन में हर साल खपत होने वाले 10 फीसदी खनिजों को रिसाइकिल करने की भी योजना है। खनन मंत्रालय के मुताबिक, अब तक 34 खनिज ब्लॉकों की पांच चरणों में नीलामी हो चुकी है। इस महीने की शुरुआत में सरकार ने इस क्षेत्र में 10 पेटेंट दिए और सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चुने, जिनमें चार IIT शामिल हैं। ये सेंटर महत्वपूर्ण खनिजों की तकनीक पर रिसर्च और डेवलपमेंट करेंगे।
हाल ही में लोकसभा में पास हुए खनन और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2025 ने मौजूदा खनिज लाइसेंस में निकाले जा सकने वाले महत्वपूर्ण खनिजों को शामिल करने की फीस माफ कर दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों का उत्पादन बढ़ेगा।