दूरसंचार विभाग का यह निर्देश है कि सभी ओवर-द-टॉप मैसेजिंग सर्विस के लिए सिम कार्ड को उस उपकरण से लगातार और अनिवार्य रूप से बाइंड (जोड़ना) होगा, जिस पर अकाउंट है। इससे दूरसंचार क्षेत्र की साइबर सुरक्षा की समस्या हल होने की उम्मीद नहीं है और इससे उपयोगकर्ताओं के अनुभव में खासी रुकावटें आ सकती हैं। उद्योग के अधिकारियों ओर नीतिगत विशेषज्ञों ने यह संभावना जताई है।
एक कम्युनिकेशन ओटीटी कंपनी के उद्योग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दूरसंचार विभाग के नए निर्देश भारत में व्हाट्सऐप, टेलीग्राम, सिग्नल और अन्य व्यापक स्तर पर इस्तेमाल होने वाली संचार ऐप के काम करने के तरीके में लगभग संरचनात्मक बदलाव पेश करते हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘करोड़ों उपयोगकर्ताओं और कई कारोबारों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। उदाहरण के लिए छोटे और मध्य आकार वाले ऐसे कारोबार जो कई बिजनेस वेब अकाउंट इस्तेमाल करते हैं, उन्हें बड़ी रुकावट का सामना करना पड़ेगा। उनके ज्यादातर अकाउंट बिना उन्हें पता चले या एहसास हुए लॉग आउट हो जाएंगे।’
उद्योग के कई अन्य अधिकारियों और नीति संबंधी विशेषज्ञों ने कहा कि इन नियमों को सार्वजनिक रूप से लाने से पहले कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया था। सार्वजनिक नीति, अनुसंधान और पैरोकार संगठन – कट्स के अनुसंधान निदेशक अमोल कुलकर्णी ने कहा कि दूरसंचार (दूरसंचार साइबर सुरक्षा) नियम, 2024 के तहत बिना सार्वजनिक सलाह के निर्देश जारी करना कई वजहों से दिक्कत वाली बात है। इसमें पहली वजह यह है कि यह ‘कार्यकारी द्वारा जारी किए गए दूसरे दस्तावेज से कार्यकारी के अधिकार का गलत इस्तेमाल’ है। उन्होंने कहा, ‘बिना जरूरीर जांच के इतना ज्यादा काम सौंपना गंभीर चिंता की बात है।’
हालांकि इन नए निर्देशों के पीछे मुख्य मकसद देश के बाहर से ओटीटी संचार ऐप अकाउंट के गलत इस्तेमाल को रोकना है, लेकिन ऐसे मामलों को रोकने में इनका असर सीमित रहेगा। कुलकर्णी ने कहा, ‘स्कैमरों के लिए यह जरूरी नहीं होता कि ऐसे अकाउंट का इस्तेमाल करें जो उपकरण से जुड़े हों। वे सिम स्पूफिंग और सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल करते हैं। यह सब होता रहेगा। यह कदम उन स्कैमरों के बहुत छोटे हिस्से को ही निशाना बनाएगा।’