दूरसंचार विधेयक का निर्णायक वर्सन इंटरनेट-आधारित कॉलिंग और मैसेजिंग सेवाओं जैसे व्हाट्सऐप, सिग्नल, गूगल मीट और टेलीग्राम को विनियमित कर सकता है। सूत्रों का कहना है कि इस विधेयक के लिए सरकार से मंजूरी और सेवाओं के प्लेटफॉर्मों पर उपयोगकर्ताओं के अनिवार्य सत्यापन की जरूरत होगी।
विधेयक के नए मसौदे ने विभिन्न संचार सेवाओं के लिए खास नियामकीय व्यवस्था पेश की है। यह उन उम्मीदों से अलग है कि निर्णायक बिल इंटरनेट कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप (ओटीटी कम्युनिकेशन ऐप के नाम से भी चर्चित) के लिए बड़ी राहत प्रदान कर सकता है।
एक सूत्र ने कहा, ‘ओटीटी अभी भी इस विधेयक का हिस्सा बने रहेंगे। लाइसेंसिंग के बजाय, अथॉराइजेशन पर जोर रहेगा। इसलिए पूरी अवधारणा यह है कि नया बदलाव सरकार का विशेषाधिकार है और फिर आप किसी को यह प्रदान करने के लिए अधिकृत कर सकते हैं, सेवा समान बनी रहेगी। अथॉराइजेशन की शर्तें अस्पष्ट बनी हुई हैं।’सरकार ने पिछले साल इंटरनेट-आधारित संचार सेवाएं, विमान और समुद्री कनेक्टिविटी सेवाओं, मशीन-टु-मशीन कम्युनिकेशन सेवाओं और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) सेवाओं को सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी मसौदा विधेयक में दूरसंचार सेवा के दायरे में शामिल किया।
इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने कहा कि ओवर-द-टॉप कम्युनिकेशन सर्विस से जुड़ा टर्म ‘नंबर-इंडिपेंडेंस सर्विसेज’ से बदला गया है, जो पब्लिक स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क (पीएसटीएन) से सह-संबंधित नहीं है। ओटीटी प्लेटफॉर्मों का मानना है कि दूरसंचार विधेयक उनके विनियमन के लिए सही विकल्प नहीं है, क्योंकि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), अधिनियम 2000 और आईटी रूल्स, 2021 के तहत वे पहले से ही विनियमित हैं।
सरकार ने परामर्श प्रक्रिया के दौरान कहा था कि उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा का मुद्दा इंडियन टेलीकम्युनिकेशन बिल का मुख्य फोकस रहेगा।