एनवीडिया के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी येन्सन हुआंग का मानना है कि इंटेलिजेंस के निर्यात में भारत की बहुत बड़ी भूमिका है। संवाददाता सम्मेलन के दौरान शिवानी शिंदे से बातचीत में उन्होंने रिलायंस के साथ साझेदारी, टीएसएमसी से परे अपने संबंधों में विविधता लाने और बड़ी संख्या में जनता के लिए एआई को सुलभ बनाने पर बातचीत की। मुख्य अंशः
रिलायंस के साथ साझेदारी पर आप क्या कहेंगे?
हम तीन चीजें करेंगे। हम एआई कंप्यूटर के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने जा रही है और यह काफी बड़े पैमाने पर किया जाएगा। हमने भले अभी तक इसकी घोषणा नहीं की है, लेकिन यह काफी बड़े स्तर पर होगा। दूसरा, हम एक नवाचार केंद्र शुरू करने जा रहे हैं ताकि एनवीडिया की तकनीक का इस्तेमाल एआई प्लेटफॉर्म बनाने के लिए रिलायंस इंजीनियर कर सके।
तीसरा, ऐसे ऐप्लिकेशन तैयार करेंगे, जिसे रिलायंस भारत में अपने ग्राहकों को पेश कर सके। हिंदी एलएलएम पर हम पहले से ही कई कंपनियों के साथ साझेदारी में काम कर रहे है। यह खुला स्रोत होगा और यह अनिवार्य तौर पर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) का ऑपरेटिंग सिस्टम होगा।
चर्चा है कि एनवीडिया और टीएसएमसी की साझेदारी तनावपूर्ण हो रही है और एनवीडिया अब किसी और कंपनी के साथ काम कर सकती है?
टीएसएमसी और एनवीडिया अभी ब्लैकवेल सिस्टम तैयार करने में काफी व्यस्त हैं और इसका पूरा उत्पादन होना है। टीएसएमसी की असाधारण दक्षता और स्तर के साथ-साथ उनकी प्रबंधन टीम के साथ मिलकर काम करने और ढाई दशक के साथ के बिना इन ब्लैकलेवल सिस्टम तैयार करना, जिनमें सात अलग-अलग चिप शामिल हैं संभव ही नहीं है।
इसलिए, टीएसएमसी एक असाधारण कंपनी है और हम साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हमारे लिए विविधता लाना भी काफी जरूरी है। निश्चित तौर पर हमारे पास सैमसंग और इंटेल के साथ भी काम करने का विकल्प है और हम अपना मूल्यांकन करना भी बरकरार रखेंगे।
बड़ी संख्या में जनता के लिए एआई को एनवीडिया कैसे सुलभ बनाएगी? खासकर भारत जैसे देशों में, जो कीमत के प्रति काफी संवेदनशील है?
टोकन यानी एआई की कीमत एक साल में 100 गुना तक कम हो गई है। इसका कारण यही है कि हमने अनुमान की प्रक्रिया बढ़ाने के लिए कई सारे नए एल्गोरिदम तैयार किए हैं। दूसरा, कई सारी ऐसी प्रौद्योगिकी है जिसका आविष्कार स्मॉल लैंग्वेज मॉडल के लिए किया गया है। तीसरा, एनवीडिया का रोडमैप काफी तेज है और एम्पीयर से लेकर हूपर और ब्लैकवेल तक हम हर साल एकम नई प्रौद्योगिकी पेश कर रहे हैं और प्रदर्शन दोगुना कर रहे हैं, जो लागत को आधा अथवा एक तिहाई करने के बराबर है।
भारत के विनिर्माण पर आप क्या कहेंगे?
चिप डिजाइन करने में भारत पहले से ही विश्व स्तरीय है। एनवीडिया के चिप बेंगलूरु में डिजाइन किए जाते हैं। हमारा बेंगलूरु, पुणे और हैदराबाद के डिजाइन केंद्रों पर चिप का डिजाइन होता है। भारत पहले से ही एआई विकसित कर रहा है।
हमारा एआई बेंगलूरु, पुणे और हैदराबाद में विकसित हुआ है। एनवीडिया का एक तिहाई हिस्सा अथवा इससे ज्यादा हिस्सा भारत में है। भारत में बौद्धिक पूंजी मौजूद है। यही कारण है कि विश्व के इतने क्षमता केंद्र यहां हैं। वॉलमार्ट, मर्सिडीज, सीमेंस, कमिंस और कई अन्य कंपनियों के साथ हमारी बेहतरीन साझेदारी है।
भारत के विनिर्माण में रुख करने से मैं काफी उत्साहित हूं। आप सिर्फ श्रम का निर्यातक नहीं बनना चाहते हैं। आप श्रम निर्यात से वस्तुओं के निर्यात का रुख करना चाहते हैं। यदि आप इंटेलिजेंस, डिजिटल इंटेलिजेंस का निर्यात कर रहे हैं तो आप अभी भी डिजिटल इंटेलिजेंस का निर्यात कर रहे हैं, आप विनिर्माण कर रहे हैं।
यही कारण है कि मैं भारत को उस इंटेलिजेंस इस देश की बौद्धिक क्षमता को लेने और इसे डिजिटल इंटेलिजेंस में बदलने के लिए विनिर्माण क्षेत्र में कदम रखते हुए देखने के लिए बहुत उत्साहित हूं।