facebookmetapixel
बिटकॉइन ने बनाया नया रिकॉर्ड: कीमत ₹1.11 करोड़ पार, निवेशकों में जोश!शेयर बाजार में इस हफ्ते कैसा रहेगा हाल? TCS रिजल्ट और ग्लोबल फैक्टर्स पर रहेंगी नजरेंUpcoming IPO: टाटा कैपिटल, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स अगले हफ्ते 27,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के आईपीओ लाएंगे15 नवंबर से बदलेंगे टोल टैक्स के नियम, बिना FASTag देना होगा ज्यादा पैसाAadhaar Update: UIDAI का बड़ा फैसला! बच्चों के आधार अपडेट पर अब कोई फीस नहींMCap: टॉप 7 कंपनियों का मार्केट वैल्यू बढ़ा ₹74 हजार करोड़, HDFC बैंक ने मारी छलांगFPI Data: सितंबर में FPIs ने निकाले ₹23,885 करोड़, शेयर बाजार से 3 महीने में भारी निकासीFD Schemes: अक्टूबर 2025 में कौन से बैंक दे रहे हैं सबसे ज्यादा रिटर्न FD? पूरी लिस्ट देखेंभारतीय IPO बाजार रिकॉर्ड महीने की ओर, अक्टूबर में $5 बिलियन से अधिक के सौदे की उम्मीदट्रंप की अपील के बाद भी नहीं थमा गाजा पर इसराइल का हमला, दर्जनों की मौत

अमेरिका में 25% शुल्क लगने पर फार्मा कंपनियों की एबिटा मार्जिन में 5 फीसदी की गिरावट की संभावना

विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका द्वारा 25 फीसदी शुल्क लगाने पर भारत की जेनेरिक दवा कंपनियों की कमाई और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला दोनों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

Last Updated- August 04, 2025 | 10:53 PM IST
pharmaceutical
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारत से अमेरिका को होने वाले दवा निर्यात अगर 25 फीसदी शुल्क के दायरे में आएंगे तो विश्लेषकों का मानना है कि इससे कंपनियों की आय प्रभावित होगी। उनका कहना है कि अतिरिक्त शुल्क के बोझ का 75 फीसदी हिस्सा ग्राहकों के कंधों पर डालने के बावजूद एबिटा पर उसका प्रभाव करीब 5 फीसदी हो सकता है।   

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि मान लेते हैं कि भारतीय दवा कंपनियों पर 25 फीसदी शुल्क लगाया गया और ग्राहकों के कंधों पर कोई बोझ नहीं डाला गया तो जेनेरिक दवा निर्यातकों की प्रति शेयर आय 0 से 27 फीसदी तक प्रभावित हो सकती है। मगर अनुबंध अनुसंधान, विकास एवं विनिर्माण संगठनों (सीआरडीएमओ) पर प्रभाव अपेक्षाकृत कम रहेगा।

इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के सहायक निदेशक (स्वास्थ्य सेवा) कृष्णनाथ मुंडे ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ‘भारतीय दवा कंपनियों को कार्यकारी आदेश 14257 के तहत नई शुल्क व्यवस्था से छूट प्राप्त है। छूट मिलने पर भी अमेरिका भविष्य में किसी व्यापारिक अथवा सुरक्षा कारणों से भारतीय दवा कंपनियों पर लक्षित शुल्क लगा सकता है।’

उन्होंने कहा कि अ​धिकतर दवा कंपनियों के लिए जेनेरिक दवाओं का निर्यात कम एबिटा मार्जिन वाला कारोबार है जो आम तौर पर 10 से 20 फीसदी के दायरे में होता है। उन्होंने कहा, ‘अगर भविष्य में 25 फीसदी शुल्क लगाया जाता है तो 60 से 75 फीसदी बोझ अंतिम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। एबिटा पर उसका असर 5 फीसदी तक हो सकता है।’

भारत ने वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका को 10.5 अरब डॉलर मूल्य की दवाओं का निर्यात किया जो हमारे कुल दवा निर्यात का 34.5 फीसदी है। आशिका ग्रुप की फार्मा विश्लेषक (संस्थागत अनुसंधान) निराली शाह ने कहा, ‘इससे कम मुनाफा वाली श्रे​णियों में आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। ब्रांडेड कंपनियां शुरू में इसके प्रभाव को बेहतर तरीके से झेल सकती हैं, लेकिन लगातार शुल्क के कारण लंबी अवधि में उनकी लागत बढ़ सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कोई खास बदलाव नहीं होगा लेकिन संभावित शुल्क का असर वैश्विक दवा निर्यातकों के निवेश एवं आपूर्ति श्रृंखला संबंधी निर्णयों पर बरकरार रहेगा।’

First Published - August 4, 2025 | 10:23 PM IST

संबंधित पोस्ट