तेल की कीमतों में उबाल से घाटे की भंवर में फंसती जा रही तेल कंपनियां अपनी विस्तार याोजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल रही हैं।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंपनी को पूंजी की जरुरतों को पूरा करने के लिए ऋण लेना पड़ रहा है। और अगर तेल की कीमतें इसी तरह बढ़ती रही, तो कंपनी के लिए नई योजनाओं के लिए पूंजी जुटाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉपर्सेरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईआोसी) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) देश भर में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और केरोसिन जैसे उत्पाद सब्सिडाइज्ड कीमतों पर बेचते हैं। तीनों ही कंपनियों को इससे भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इंडियन ऑयल को प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर 10 रुपये का नुकसान होता है। तीनों कंपनियों को रोजाना होने वाला नुकसान 440 करोड़ रुपये है।भारत में कच्चे तेल की सबसे बड़ी रिफाइनरी और विपणन कंपनी आईओसी ने वर्ष 2007-08 में 35,000 करोड़ रुपये का ऋण लिया था।
जबकि वर्ष 2006-07 में यह ऋण राशि 27,000 करोड़ रुपये थी। हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने जहां वर्ष 2006-07 में 8,000 करोड़ रुपये का ऋण लिया था, वहीं पिछले साल कंपनी ने 13,000 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। इस कड़ी में भारत पेट्रोलियम भी पीछे नहीं है। भारत पेट्रोलियम ने वर्ष 2006-07 में 11,000 करोड़ रुपये का ऋण लिया था और वर्ष 2007-08 में यह राशि 14,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा थी।
कंपनियों की मुश्किलें यहीं खत्म होती नहीं दिख रही हैं। कंपनियों द्वारा लिए गए ऋण पर ब्याज दर भी तेजी से बढ़ रही है, इससे इन कंपनियों की बैलेंस शीट्स पर भी काफी असर पड़ रहा है। आईओसी आजकल 8.5 प्रतिशत की ब्याज दर के हिसाब से ऋण ले रही है। जबकि दो साल पहले तक यह दर 6.5 प्रतिशत थी।
तेल कंपनियां यह ऋण कम अवधि के लिए लेती है। इसकी वापसी अवधि 1 दिन से लेकर 11 महीनें तक होती है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम के एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक कंपनी पूंजी खर्च की योजनाओं को संभाल रही है, लेकिन जल्द ही कंपनी अपनी छोटी परियोजनाओं के लिए दूसरे वित्त संसाधनों की तलाश कर रही हैं।
तीनों तेल कंपनियों का कहना है कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत जो भी परियोजनाएं हैं उन पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। एचपीसीएल विशाखापटनम में प्रस्तावित रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल परियोजना पर काम कर रही है। आईओसी भी पारादीप में रिफाइनरी और पानीपत में नैप्था क्रेकर संयंत्र लगाने की योजना पर काम कर रही है।
आईओसी के एक अधिकारी ने बताया कि इन परियोजनाओं के लिए पूंजी का प्रबंध करना मुश्किल नहीं है। क्योंकि इन संयंत्रों के शुरू होने के बाद यें कंपनी के लिए अतिरिक्त राजस्व प्राप्ति का जरिया बनेंगे। तेल की बढ़ती कीमत इन कंपनियों के विदेशों में विस्तार की योजनाओं पर भी असर डाल रही है।
बढ़ती कीमतों के चलते ही आईओसी ने पूर्वी एशिया में छोटी और मध्यम आकार की तेल उत्खनन कंपनी खरीदने की योजना को फिलहा्रल ठंडे बस्ते में डाल दिया है।आईओसी के अधिकारी ने बताया कि इस वक्त किसी भी कंपनी का अधिग्रहण करना काफी महंगा सौदा साबित होगा और बड़े अधिग्रहणों के लिए वित्त जुटाना बहुत मुश्किल काम होगा।