भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच गुरुवार को लंदन में ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते से भारत के जेनेरिक दवाओं और मेडिकल डिवाइसेज़ जैसे X-रे सिस्टम, ECG मशीन, और सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स के निर्यात को भारी बढ़ावा मिलेगा।
वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, “मेडिकल डिवाइसेज़ की एक बड़ी हिस्सेदारी जैसे सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स, डायग्नोस्टिक इक्विपमेंट्स, ECG और X-रे सिस्टम अब यूके निर्यात पर किसी भी प्रकार का शुल्क (ड्यूटी) नहीं लगेगा। इससे भारतीय मेड-टेक कंपनियों की लागत घटेगी और वे यूके बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेंगी। ब्रेक्सिट और कोविड-19 के बाद यूके की चीनी उत्पादों पर निर्भरता घटने के कारण, भारतीय निर्माता एक विश्वसनीय और किफायती विकल्प के रूप में उभरे हैं।”
FTA के तहत जेनेरिक दवाओं पर भी शून्य टैरिफ का प्रावधान किया गया है। यूके पहले से ही भारत का सबसे बड़ा फार्मा निर्यात गंतव्य है। भारत दुनिया भर में 23.31 बिलियन डॉलर की फार्मास्युटिकल्स का निर्यात करता है जबकि यूके का दवा आयात लगभग 30 बिलियन डॉलर है, लेकिन इसमें भारत की हिस्सेदारी मात्र 1 बिलियन डॉलर से कम है, जिससे भविष्य में भारी संभावनाएं बनती हैं। मंत्रालय के मुताबिक, भले ही फार्मा सेक्टर की टैरिफ लाइनों की संख्या मात्र 56 (0.6%) है, लेकिन इसका रणनीतिक और आर्थिक महत्व बहुत अधिक है।
फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (Pharmexcil) के चेयरमैन नमित जोशी ने कहा कि यह FTA फार्मा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदारी को दर्शाता है। “यह समझौता न केवल सप्लाई चेन को मज़बूत करेगा बल्कि भारत से यूके को सस्ती और गुणवत्तायुक्त दवाओं की आपूर्ति को भी सुगम बनाएगा। इसके अलावा यह समझौता बल्क ड्रग इंपोर्ट्स, कॉन्ट्रैक्ट डेवलपमेंट एंड मैन्युफैक्चरिंग (CDMO), और संयुक्त अनुसंधान (Joint Research) को भी बढ़ावा देगा। यह FTA बड़े दवा आयात, कॉन्ट्रैक्ट रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग साझेदारियों का मार्ग खोलती है। FY24 में भारत से UK को ₹914 करोड़ (लगभग $110 मिलियन) का pharma निर्यात हुआ था।
इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस (IPA) के महासचिव सudarshan Jain ने कहा कि यह व्यापार समझौता दोनों देशों के बीच नई आर्थिक संभावनाओं के द्वार खोलेगा। उन्होंने कहा कि इससे भारतीय दवा कंपनियों को यूके के मरीजों के लिए सस्ती, गुणवत्तायुक्त दवाएं उपलब्ध कराने का अवसर मिलेगा।
PHDCCI ने बताया कि FTA की निष्पक्ष नियामक प्रक्रियाएं, जैसे UK–India मानकों की मान्यता, जेनेरिक दवाओं के एनएचएस में प्रविष्टि को आसान बनाएंगी
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