भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच गुरुवार को हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement – FTA) ने दोनों देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक सहयोग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। इस ऐतिहासिक करार के तहत भारत की पारंपरिक क्राफ्ट मदिराएं — जैसे गोवा की फेनी, नासिक की आर्टिज़नल वाइन, और केरल की टोडी — अब ब्रिटेन के हाई-एंड बाजारों में अपनी खास पहचान और भौगोलिक संकेतक (GI) टैग संरक्षण के साथ प्रवेश करेंगी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “अब भारतीय क्राफ्ट पेय जैसे फेणी, वाइन और टोडी को यूके के प्रीमियम रिटेल स्टोर्स और हॉस्पिटैलिटी चैनलों में न केवल शेल्फ स्पेस मिलेगा, बल्कि उन्हें GI टैग के माध्यम से ब्रांड संरक्षण और प्रमोशन का भी अवसर मिलेगा।”
ब्रिटेन जैसे विकसित बाजारों में प्राकृतिक और जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारतीय पेयों का स्वाभाविक स्वाद, पारंपरिक विरासत और अनूठा फ्लेवर प्रोफाइल उन्हें स्कॉच व्हिस्की जैसे वैश्विक ब्रांड्स के समकक्ष खड़ा कर सकता है।
भारत सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक मादक पेयों का निर्यात $1 अरब तक पहुंचाया जाए। वर्तमान में यह आंकड़ा $370.5 मिलियन (लगभग ₹2,200 करोड़, FY 2023-24) है। भारत इस समय मद्य निर्यात में वैश्विक स्तर पर 40वें स्थान पर है, लेकिन सरकार इसे शीर्ष 10 देशों में लाने की दिशा में काम कर रही है। अभी तक भारतीय मदिरा आयातक देशों में UAE, सिंगापुर, नीदरलैंड, तंज़ानिया, अंगोला, केन्या और रवांडा प्रमुख थे, अब इस सूची में यूके को भी एक रणनीतिक बाज़ार के रूप में जोड़ा जा रहा है।
FTA के एक प्रमुख पहलू के तहत अल्कोहल पर आयात शुल्क को 150% से घटाकर पहले 75% और आगे चलकर 40% तक लाने का निर्णय लिया गया है। इससे ब्रिटेन के स्कॉच उत्पादकों को भी भारत में बड़ा लाभ मिलने वाला है।
Diageo के अंतरिम CEO निक झंगियानी ने इस करार को “स्कॉच और स्कॉटलैंड दोनों के लिए बड़ा क्षण” बताया। उन्होंने कहा, “हम Johnnie Walker के साथ इस ऐतिहासिक समझौते के लिए जश्न मना रहे हैं।”
वहीं Chivas Brothers के चेयरमैन और CEO जीन-एटिएन गूर्गेस ने कहा, “भारत दुनिया का सबसे बड़ा व्हिस्की बाजार है। यह समझौता Chivas Regal और Ballantine’s जैसे ब्रांड्स की भारत में पहुंच को क्रांतिकारी रूप से बढ़ाएगा। यह डील आने वाले वर्षों में स्कॉटलैंड के डिस्टिलरीज और भारत में व्यापारिक साझेदारियों के लिए निवेश और रोजगार के नए अवसर खोलेगी।”
FTA से एक ओर जहां भारतीय शिल्प मदिराओं को वैश्विक मान्यता और बाजार मिलेगा, वहीं दूसरी ओर ब्रिटिश ब्रांड्स को भारत जैसे विशाल उपभोक्ता बाजार में प्रवेश के नए रास्ते मिलेंगे। इससे न केवल दोनों देशों के व्यापार को, बल्कि स्थानीय रोजगार, इनोवेशन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बल मिलेगा। GI टैग से भारतीय ब्रांड्स की वैश्विक विश्वसनीयता बढ़ेगी। GI टैग मिलने से उत्पादों को नकली प्रतिस्पर्धा से सुरक्षा मिलेगी, वैश्विक बाजार में विश्वसनीयता और ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी और स्थानीय उत्पादकों और किसानों को बेहतर कीमत मिल सकेगी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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