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भारत में फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म सेक्टर ने 2023-24 में 13.3 लाख कामगारों को रोजगार दिया है और यह क्षेत्र 12.3 प्रतिशत सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है। दिल्ली के थिंक टैंक नैशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट में यह सामने आया है।
भारत की अर्थव्यवस्था पर फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म सेक्टर का असर नाम से तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक, ‘2021-22 में फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्मों ने 10.8 लाख कामगारों को और 2023-24 में 13.7 लाख कामगारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया है। यह 2021-22 और 2022-23 में कुल कामगारों की संख्या का 0.2 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में रोजगार 2021-22 और 2023-24 के बीच 12.3 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ा है, जबकि अखिल भारतीय सीएजीआर 7.9 प्रतिशत रहा है।’नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि अर्थव्यवस्था में गिग वर्कर्स की कुल संख्या 2020-21 में 77 लाख रही, जिनकी कुल संख्या 2029-30 में बढ़कर 2.35 करोड़ होने का अनुमान है।
इस अध्ययन में पूरी मूल्य श्रृंखला को एक साथ जोड़ा गया है, जो प्लेटफॉर्म के विकास और पेमेंट गेटवे से लेकर रेस्टोरेंट और घर तक डिलिवरी की लॉजिस्टिक्स सेवा तक फैली हुई है। इसका मकसद फूड डिलीवरी को एक अलग आर्थिक क्षेत्र के तौर पर स्थापित करना है, जिसके आधिकारिक आंकड़े भारत में उपलब्ध नहीं हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस सेक्टर का आउटपुट मल्टीप्लायर सातवें शीर्ष स्तर पर है और इंप्लाइमेंट मल्टीप्लायर सेवा क्षेत्र में होटलों और रेस्टोरेंट के बाद दूसरे सर्वाधिक स्तर पर है।’ टैक्स मल्टीप्लायर अनुमानित रूप से 0.04 है। इसका मतलब यह हुआ कि फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म सेक्टर में 2021-22 के दौरान 10 लाख रुपये के उत्पादन पर करीब 40,000 रुपये अप्रत्यक्ष कर आया है।
सेक्टर के सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में अप्रत्यक्ष कर की हिस्सेदारी 4.7 प्रतिशत है, जो अन्य क्षेत्रों की तुलना में करीब दोगुना है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म सेक्टर के उत्पादन का सकल मूल्य (जीवीओ) 2021-22 के 61,271 करोड़ रुपये से दोगुना होकर 2023-24 में 1.2 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इससे राष्ट्रीय उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 0.14 प्रतिशत से बढ़कर 0.21 प्रतिशत हो गई है।