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फूड कंपनियों की कमाई में क्विक कॉमर्स का बढ़ा योगदान, हर तिमाही 50-100% की ग्रोथ

एडब्ल्यूएल एग्री बिजनेस, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (टीसीपीएल) और पारले प्रोडक्ट्स जैसी कंपनियों ने इस चैनल से अपने योगदान में वृद्धि देखी है

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शार्लीन डिसूजा   
अक्षरा श्रीवास्तव   
Last Updated- November 10, 2025 | 10:56 PM IST

उपभोक्ताओं द्वारा लगातार आवेग में खरीदारी करने और सहूलियत को प्राथमिकता देने के कारण, खाद्य कंपनियों के राजस्व में क्विक कॉमर्स का योगदान तेजी से बढ़ रहा है। पैकेज्ड फूड कंपनियों ने हरेक तिमाही में 50-100 प्रतिशत की वृद्धि देखी है क्योंकि उपभोक्ता जल्द से जल्द सामानों की डिलीवरी को तरजीह दे रहे हैं और क्विक कॉमर्स कंपनियां देश भर में अपने दायरे को बढ़ा रही हैं।

एडब्ल्यूएल एग्री बिजनेस, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (टीसीपीएल) और पारले प्रोडक्ट्स जैसी कंपनियों ने इस चैनल से अपने योगदान में वृद्धि देखी है। हिंदुस्तान यूनिलीवर ने भी क्विक कॉमर्स के जरिये अपनी बिक्री दोगुनी देखी है। टीसीपीएल के राजस्व का 14 प्रतिशत हिस्सा क्विक कॉमर्स से आता है जो अप्रैल-जून तिमाही में 10 प्रतिशत था।

हाल ही में बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए एक साक्षात्कार में टीसीपीएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील डिसूजा ने कहा, ‘हम क्विक कॉमर्स चैनल में 100 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं।’ डिसूजा ने बताया कि अप्रैल-जून तिमाही में, कंपनी की कमाई का 5 प्रतिशत ई-कॉमर्स से, 10 प्रतिशत क्विक कॉमर्स से और 15 प्रतिशत आधुनिक कारोबार से मिला जिससे इन चैनलों का कुल योगदान 30 प्रतिशत हो गया।

हालांकि, जुलाई-सितंबर तिमाही में, टेटली टी के मालिक ने पाया कि उसके योगदान का 14 प्रतिशत क्विक कॉमर्स से, 7 प्रतिशत राजस्व ई-कॉमर्स से और आधुनिक कारोबार से उसका हिस्सा अब 16 प्रतिशत है। डिसूजा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स से प्रतिशत योगदान के लिहाज से हमारे पास अधिक संख्या है क्योंकि हमारा एक सरल सिद्धांत है कि यदि उपभोक्ता क्विक कॉमर्स को तरजीह दे रहे हैं तो वे इस माध्यम के साथ बने रहें।’

एडब्ल्यूएल एग्री बिजनेस (पहले अदाणी विल्मर के रूप में जाना जाता था) के एमडी और सीईओ श्रीकांत कान्हेरे ने कंपनी के नतीजों को पेश किए जाने के बाद एक कॉन्फ्रेंस कॉल में निवेशकों को बताया, ‘अब वैकल्पिक चैनल एलटीएम (पिछले बारह महीनों) के आधार पर चल रहा है, जिसने पिछले 12 महीनों में, सितंबर 2025 तक 4,400 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व दर्ज किया है और यह बहुत तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें क्विक कॉमर्स हमारे लिए 80-85 प्रतिशत से अधिक बढ़ रहा है।’

एडब्ल्यूएल एग्री के कार्यकारी उपाध्यक्ष अंशु मलिक ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा, ‘अगर आप शीर्ष 10 महानगरों को देखते हैं विशेष रूप से पिछले एक वर्ष में तब खरीदारी के रुझान में जबरदस्त बदलाव आया है। छोटे और खुदरा स्टोर अपना दायरा बढ़ाने में सक्षम नहीं हैं और उनकी वृद्धि धीमी या नकारात्मक रही है, लेकिन आधुनिक कारोबार 8-10 प्रतिशत और क्विक कॉमर्स 50-80 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।’

पारले प्रोडक्ट्स ने भी देखा है कि कंपनी की वृद्धि में क्विक कॉमर्स की अहम भूमिका रही है। पारले प्रोडक्ट्स के उपाध्यक्ष मयंक शाह ने कहा, ‘क्विक कॉमर्स चैनल हमारे लिए लगभग पांच गुना बढ़ गया है और अब कुल बिक्री में इसका लगभग 6 प्रतिशत का योगदान है।’ उन्होंने कहा, ‘यह ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स खिलाड़ियों की बढ़ी हुई पहुंच के कारण है जो अब 2,000 से अधिक पिन कोड तक सेवाएं दे रहे हैं। यह हमारे लिए विकास का एक बड़ा स्रोत है।’

हिंदुस्तान यूनिलीवर के राजस्व में भी लगभग 7-8 प्रतिशत का योगदान ई-कॉमर्स का है जिसमें क्विक कॉमर्स भी शामिल है। कंपनी के तिमाही नतीजों के बाद एचयूएल के तत्कालीन सीएफओ रितेश तिवारी (अब यूनिलीवर पीएलसी में एमऐंडए और ट्रेजरी के वैश्विक प्रमुख के पद पर हैं) ने कहा था कि ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स तेजी से बढ़ रहे हैं। तिवारी ने कहा, ‘क्विक कॉमर्स पर इस तिमाही में हमारा अपना कारोबार दोगुने से अधिक हो गया है। यह एक ऐसा मंच है जिस पर उपभोक्ताओं कीअच्छी-खासी भीड़ है।’

First Published : November 10, 2025 | 10:53 PM IST