हीरो मोटोकॉर्प ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए पूंजीगत खर्च घटाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया है क्योंकि बाजार की अग्रणी कंपनी महामारी के बीच लागत घटाना और नकदी संरक्षित करना चाहती है। कंपनी के प्रबंधन ने बुधवार को इन्वेस्टर कॉल में ये बातें कही। पूंजीगत खर्च में कटौती क्षमता विस्तार और मरम्मत समेत सभी क्षेत्रों के लिए होगी, लेकिन कंपनी का कहना है कि इसमें शोध व विकास शामिल नहीं रहेगा।
हीरो मोटोकॉर्प के मुख्य वित्त अधिकारी निरंजन गुप्ता ने कहा, पहले हमने मौजूदा वित्त वर्ष में 1,000 करोड़ रुपये पूंजीगत खर्च की योजना बनाई थी। हमने उसे घटाकर अब 600 करोड़ रुपये कर दिया है।
अधिकारियों ने कहा, लॉकडाउन खुलने के बाद खुदरा मांग उत्साहजनक रही है और हीरो को उम्मीद है कि मौजूदा महीने में हम कोविड के पहले के 80 फीसदी वॉल्यूम तक पहुंच जाएंगे।
हीरो के बिक्री प्रमुख नवीन चौहान ने विश्लेषकोंं से कहा, यह करीब 3 लाख से 3.50 लाख इकाई के बीच होगा क्योंकि मासिक रफ्तार कोविड-19 से पहले 5 से 5.50 लाख इकाई होती थी। उन्होंने कहा, कंपनी के 90 फीसदी डीलर आउटलेट में कामकाज शुरू हो गया है।
मंगलवार को स्प्लैंडर आदि मॉडल की निर्माता ने मार्च तिमाही में एकल शुद्ध लाभ में 15 फीसदी की गिरावट की खबर दी थी। बाजार के अनुमान के मुकाबले लाभ कम रहा और यह 621 करोड़ रुपये रहा। जबकि पिछले साल की समान अवधि में 730.32 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था।
कंपनी के प्रबंधन ने वॉल्यूम पर किसी तिमाही या पूरे साल का अनुमान सामने रखना बंद कर दिया, हालांकि उन्होंने कहा कि मांग और आपूर्ति में हो रही बढ़ोतरी संतोषजनक रही है। अच्छी फसल के परिदृश्य का हवाला देते हुए हीरो ने कहा कि उसे उम्मीद है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था शहरी अर्थव्यवस्था से बेहतर प्रदर्शन करेगा। कंपनी के लिए यह इलाका काफी मायने रखता है। चौहान ने कहा, किसी रुख का अनुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी, हमें अभी इंतजार करना होगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार वित्त वर्ष 21 की दूसरी छमाही में हीरो मोटोकॉर्प की रफ्तार के लिए संभावित तौर पर अनुकूल रहेगा और यह बात आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने बुधवार को एक रिसर्च नोट में कही। हालांकि शहरी इलाके में ग्राहकों की तरफ से स्कूटर की मांग बढ़ेगी क्योंकि वे परिवहन के लिए अपने साधन का इस्तेमाल करना चाहेंगे, लेकिन स्कूटर के मामले में हीरो कमजोर कंपनी है। ब्रोकरेज ने वित्त वर्ष 21 व वित्त वर्ष 22 के लिए अनुमानित ईपीएस में क्रमश: -8.8 फीसदी व 0.8 फीसदी की कटौती की है।
