गो फर्स्ट इंजन आपूर्ति में देरी की वजह से जमीन पर खड़े विमानों के लिए मार्च 2020 के बाद मुआवजा प्रदान करने में विफल रहने के मामले में प्रैट ऐंड व्हिटनी (पीडब्ल्यू) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रही है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
विमान कंपनी के लगभग 90 प्रतिशत बेड़े में पीडब्ल्यू के इंजन का इस्तेमाल होता है। विमान कंपनी के 55 में से लगभग 24 विमानों को पीडब्ल्यू द्वारा इंजन आपूर्ति में देर होने की वजह से खड़ा कर दिया गया है। गो फर्स्ट मार्च 2022 की तुलना में मार्च 2023 में 27 प्रतिशत कम उड़ानों का परिचालन कर रही है।
गो फर्स्ट के साथ पीडब्लू के करार में तीन मुख्य शर्तें शामिल हैं – पीडब्ल्यू को खराब इंजन के कारण विमान खड़े किए जाने के 48 घंटे के भीतर एक अतिरिक्त इंजन उपलब्ध कराना होगा, खराब इंजनों की नि:शुल्क मरम्मत की जाएगी क्योंकि वे वारंटी में हैं तथा खड़े विमानों के कारण ‘उत्पादकता के नुकसान’ के लिए विमान कंपनी को मुआवजा प्रदान किया जाएगा।
इस घटनाक्रम से अवगत एक सूत्र ने कहा ‘मार्च 2020 तक पीडब्ल्यू ने समय पर अतिरिक्त इंजन प्रदान किए, बिना पैसे के मरम्मत की और कुछ मुआवजा प्रदान किया। हालांकि उसके बाद विमान कंपनी को कुछ नहीं मिला है।’ पीडब्ल्यू और गो फर्स्ट ने बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब नहीं दिया।
सूत्रों ने कहा कि गो फर्स्ट के प्रवर्तक वाडिया समूह ने पिछले 20 महीनों में विमान कंपनी में करीब 3,000 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस दौरान उन्होंने करीब 1,300 करोड़ रुपये का कर्ज भी लिया है। सूत्रों ने कहा कि समूह ने शुरू में सोचा था कि पीडब्ल्यू के साथ लड़ाई इस मामले को जटिल बना देगी।
एक सूत्र ने कहा कि विमान कंपनी इंजन विनिर्माता से अपने करार संबंधी दायित्वों का सम्मान करने के लिए कहती आ रही है। अब साफ तौर पर जो तरीके हैं, उनमें से एक कानूनी रास्ता अपनाना है, जो उन्हें उनके दायित्वों की याद दिलाने वाला है। सूत्रों ने कहा कि विमान कंपनी मुकदमा दायर कर सकती है और इस मामले पर कानूनी सलाह ले रही है।