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फॉक्सकॉन-वेदांत चिप प्लांट को मिल सकती है मंजूरी, कंपनी को सरकार की कई शर्तें करनी होगी पूरी

फॉक्सकॉन ने हाल में ताइवान में 9.08 करोड़ डॉलर में मैक्रोनिक्स इंटरनैशनल के एक छोटे चिप प्लांट का अधिग्रहण करते हुए इस बाजार में प्रवेश किया है

Last Updated- April 07, 2023 | 11:28 PM IST
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सरकार फॉक्सकॉन-वेदांत के साझे उपक्रम को सेमीकंडक्टर फैब प्लांट लगाने की मंजूरी दे सकती है। मगर इसके लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी।

एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम फॉक्सकॉन-वेदांत को सशर्त मंजूरी देने पर विचार कर रहे हैं। कई शर्तें निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूरी करनी होंगी। इनमें भागीदारों एवं प्रौद्योगिकी कंपनियों के साथ बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर आदि शामिल होंगे।’

फॉक्सकॉन-वेदांत के प्रस्तावित फैब प्लांट पर बारीक नजर है क्योंकि कई लोगों का कहना है कि संयुक्त उद्यम ने अब तक किसी विनिर्माण श्रेणी के प्रौद्योगिकी प्रदाता के साथ बाध्यकारी समझौता नहीं किया है। मंजूरी के लिए यह प्रमुख शर्त है।

हालांकि सूत्रों का कहना है कि संयुक्त उद्यम कंपनी एसटी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक और ग्लोबल फाउंड्री के साथ बातचीत कर रही है।

सरकारी अधिकारी ने कहा कि चिप प्रौद्योगिकी के लिए अस्थायी समझौते किए गए हैं। वेदांत समूह से प्रौद्योगिकी भागीदारों की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

फॉक्सकॉन और वेदांत में से किसी के भी पास फैब प्लांट चलाने के लिए पर्याप्त अनुभव या प्रौद्योगिकी नहीं है। फॉक्सकॉन ने हाल में ताइवान में 9.08 करोड़ डॉलर में मैक्रोनिक्स इंटरनैशनल के एक छोटे चिप प्लांट का अधिग्रहण करते हुए इस बाजार में प्रवेश किया है।

फॉक्सकॉन दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण सेवा कंपनी है। वह अपने ग्राहकों के लिए सालाना 40 अरब डॉलर से अधिक के सेमीकंडक्टर खरीदती है। इनमें से कुछ की आपूर्ति उसके भारतीय संयुक्त उद्यम चिप प्लांट से हो सकती है, जिससे आपूर्ति श्रृंखला में उसकी स्थिति मजबूत होगी।

फॉक्सकॉन इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में भी उतरने की तैयारी में है। इसके लिए उसे काफी चिप की जरूरत होगी। कंपनी इलेक्ट्रिक वाहन प्लांट स्थापित करने के लिए भारत को प्रमुख जगह मान रही है। फॉक्सकॉन ने सरकारी अधिकारियों के साथ अपनी बैठकों में सरकार से बिना किसी वित्तीय सहायता के देश में दूसरा फैब प्लांट स्थापित करने की इच्छा भी दिखाई है।

वेदांत की वित्तीय स्थिति भी चिंता की वजह है। कंपनी अपना बढ़ता ऋण बोझ कम करने के लिए लगातार जूझ रही है। ऐसे में कुछ लोगों ने फैब परियोजना के लिए रकम जुटाने की उसकी क्षमता पर सवाल उठाया है।
सेमीकंडक्टर योजना के तहत पिछले साल कुल तीन कंपनियों ने फैब प्लांट लगाने के लिए सरकार को आवेदन सौंपे थे। सरकार ने अपनी सेमीकंडक्टर योजना के लिए 10 अरब डॉलर वित्तीय सब्सिडी का प्रावधान किया है।

फैब प्लांट के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों में फॉक्सकॉन-वेदांत, सिंगापुर की कंसोर्टिया आईजीएसएस और आईएसएमसी शामिल थीं। आईएसएमसी कंसोर्टियम की अगुआई न्यू ऑर्बिट कर रही थी, जिसके साथ इजरायल की टावर कॉरपोरेशन तकनीकी एवं वित्तीय साझेदार के तौर पर जुड़ी थी।

मगर टावर का अधिग्रहण इंटेल करने जा रही है। अमेरिका और चीन के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ने के कारण यह अधिग्रहण टाल दिया गया है। चीन टावर के लिए बड़ा बाजार है। चीन ने अब तक इंटेल द्वारा टावर के अधिग्रहण पर हामी नहीं भरी है।

सेमीकंडक्टर योजना के तहत सरकार द्वारा चुनी गई कंपनियों को परियोजना पर आने वाली कुल लागत का आधा हिस्सा सब्सिडी के रूप में दिया जाएगा। इससे कंपनियों का शुरुआती निवेश काफी कम हो जाएगा। मगर इस योजना के तहत दी जाने वाली रियायत उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन योजना (PLI) के अंतर्गत दी रही रियायतों से अलग है।

पीएलआई के तहत हर साल बिक्री और निवेश लक्ष्य पूरा होने के बाद ही प्रोत्साहन दिया जाता है। इसके उलट फैब परियोजना के अंतर्गत प्रोत्साहन प्लांट की स्थापना के दौरान ही मिल जाते हैं। यह एक बड़ी वजह जिससे सरकार को योजना में किसी तरह के झोल से बचने के लिए अतिरिक्त सतर्क रहने की जरूरत है।

संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल में कहा था कि सरकार अगले कुछ सप्ताहों में पहली सेमीकंडक्टर योजना की घोषणा करेगी मगर उन्होंने इस बात के संकेत नहीं दिए कि यह कौन सी योजना होगी।

First Published - April 7, 2023 | 9:31 PM IST

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