दवा एवं चिकित्सा सेवा स्टार्टअप फार्मईजी 20 करोड़ डॉलर जुटाने के लिए निवेशकों के साथ बातचीत कर रही है। इस बार कंपनी का मूल्यांकन पिछले साल के 5.1 अरब डॉलर के मुकाबले 15 से 25 फीसदी तक कम हो सकता है। इस मामले से अवगत दो लोगों ने यह जानकारी दी।
भारतीय स्टार्टअप परिवेश में बढ़ते तनाव की ओर इशारा करते हुए एक सूत्र ने कहा कि फार्मईजी पिछले साल के मुकाबले करीब 15 फीसदी कम मूल्यांकन पर ताजा रकम जुटाने के लिए बातचीत कर रही है। फार्मईजी के निवेशकों में प्रोसस, टीपीजी और टेमासेक जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
एक अन्य सूत्र ने कहा कि दवाओं की ऑनलाइन डिलिवरी एवं डायग्नोस्टिक सेवाओं की पेशकश करने वाली इस कंपनी ने अपने बैंकरों से कहा है कि जरूरत पड़ने पर 25 फीसदी कम मूल्यांकन पर भी सौदे को पूरा करने पर विचार करें। इससे नए वित्त पोषण दौर के लिए फार्मईजी का मूल्यांकन घटकर 3.8 अरब डॉलर हो सकता है। सूत्रों ने कहा कि 2022 के लिए निर्धारित आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में देरी हो रही है।
सूत्रों ने कहा कि घरेलू और वैश्विक शेयर बाजारों में अनिश्चितता के कारण भारतीय स्टार्टअप को झटका लगा है। इसके अलावा आसमान छूते मूल्यांकन से निवेशकों की आंशका बढ़ रही है। ऐसे में फार्मईजी के लिए मौजूदा अथवा अधिक मूल्यांकन पर रकम जुटाना मुश्किल हो गया है। उन्होंने अपनी पहचान जाहिर करने से इनकार किया क्योंकि रकम जुटाने के लिए निजी तौर पर बातचीत हो रही है।
निवेशकों से बातचीत में शामिल पहले सूत्र ने कहा कि फार्मईजी के ताजा दौर के वित्त पोषण में कुछ मौजूदा निवेशकों की भी भागीदारी दिखेगी। मौजूदा निवेशकों ने ताजा दौर में करीब 11.5 करोड़ डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है।
फार्मईजी की मूल कंपनी एपीआई होल्डिंग्स ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार किया। एपीआई के अन्य कारोबारों में डायग्नोस्टिक सेवा प्रदाता थायरोकेयर भी शामिल है।
हाल के वर्षों तक कंपनी के मूल्यांकन में उछाल दिख रहा था। उस दौरान सामान्य तौर पर भारतीय स्टार्टअप में तेजी दिख रही थी और खुद इसके क्षेत्र में वृद्धि की रफ्तार तेज थी। इस क्षेत्र की प्रमुख प्रतिस्पर्धियों में रिलायंस की नेटमेड्स, टाटा की 1एमजी और वॉलमार्ट की फ्लिपकार्ट शामिल हैं।
पिछले साल भारतीय स्टार्टअप जगत ने निजी नियोजन के जरिये रिकॉर्ड 35 अरब डॉलर जुटाए थे और कई इंटरनेट कंपनियां सूचीबद्ध हुई थीं।
फार्मईजी ने भी बाजार में जबरदस्त उछाल को भुनाया और 2015 के बाद कुल 1.89 अरब डॉलर जुटाए। पिचबुक के आंकड़ों के अनुसार, इनमें से अधिकांश रकम पिछले दो वर्षों के दौरान जुटाई गई।
सूत्रों ने बताया कि बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज और मॉर्गन स्टैनली इस सौदे पर काम कर रहे हैं। मॉर्गन स्टैनली ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार किया जबकि बैंक ऑफ अमेरिका ने कोई जवाब नहीं दिया।
