कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग फेसबुक इंडिया लीडरशिप टीम और उसके कामकाज को लेकर उच्चस्तरीय जांच शुरू करें। कांग्रेस ने यह आग्रह वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के बाद किया जिसमें कहा गया है कि फेसबुक ने भारत में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजनीतिक लाभ के लिए काम किया।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक पत्र लिखकर कहा कि फेसबुक की जांच को एक या दो माह के भीतर न केवल कंपनी के बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए बल्कि उसे सार्वजनिक भी किया जाना चाहिए।
उधर सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक द्वारा भाजपा के हितों के बचाव के लिए काम करने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भाजपा खुद फेसबुक की प्रताडऩा की शिकार रही है और सन 2019 के आम चुनाव के आसपास कंपनी ने करीब 700 पेज हटा दिए थे। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि लोग नरेंद्र मोदी को लाठियों से पीटेंगे। प्रसाद ने सवाल उठाया कि क्या यह नफरत और हिंसा को उकसाने वाली बात नहीं है? वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत में फेसबुक की शीर्ष सार्वजनिक नीति अधिकारी ने व्यावसायिक कारणों को ध्यान में रखते हुए नफरत फैलाने वाली पोस्ट पर लगने वाले नियमों को कम से कम चार ऐसे लोगों और समूहों पर नहीं लागू होने दिया जो भाजपा से संबंधित थे। जबकि आंतरिक स्तर पर इन पर सवाल उठे थे कि ये हिंसा भड़काने वाली पोस्ट कर रहे हैं। जर्नल ने एक रिपोर्ट में कहा था कि फेसबुक इंडिया की सार्वजनिक नीति निर्देशक आंखी दास ने अपने कर्मचारियों से कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा ‘भड़काई जाने वाली हिंसा को दंडित करना, भारत में कंपनी की कारोबारी संभावनाओं को प्रभावित करेगा जो उपभोक्ताओं की दृष्टि से दुनिया में उसका सबसे बड़ा बाजार है।’
कांग्रेस ने अपने पत्र में लिखा, ‘आलेख में फेसबुक इंडिया के नेतृत्व के खिलाफ स्पष्ट आरोप है कि वह भाजपा के पक्ष में काम कर रही है और निरंतर उसके नेताओं द्वारा नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर खामोश है। भारत के निर्वाचित लोकतंत्र में फेसबुक इंडिया के हस्तक्षेप को लेकर ये आरोप अत्यंत गंभीर प्रकृति के हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फेसबुक इंडिया ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की जांच के बाद नफरत फैलाने वाली पोस्ट हटा दी हैं। यदि यह सही है तो यह अपनी गलती मानने का स्पष्ट उदाहरण है।’ पार्टी ने यह भी कहा कि जब तक आंतरिक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक फेसबुक इंडिया का नेतृत्व एक नई टीम को सौंपा जाए ताकि जांच प्रभावित न हो। इस बीच कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में रायपुर के एक पत्रकार ने आंखी दास के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई है जिसमेंं दो फेसबुक उपयोगकर्ताओं पर आरोप लगाया गया है कि ये लोग धार्मिक भावनाओं को भड़का रहे हैं। यह प्राथमिकी एक पत्रकार ने दर्ज कराई है। उधर आंखी दास ने भी नई दिल्ली में एक प्राथमिकी में उक्त पत्रकार पर प्रताडऩा का आरोप लगाया है।
दास ने कहा, ’14 अगस्त से मुझे हिंसात्मक धमकियां मिल रही हैं और आरोपित व्यक्तियों द्वारा लगातार प्रताडि़त किए जाने से मैं बहुत परेशान हूं। मेरी तस्वीरों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है और मुझे अपने जीवन के साथ अपने पारिवारिक सदस्यों की सुरक्षा को भी खतरा महसूस हो रहा है।’ उन्होंने कहा कि उनकी प्रतिष्ठा धूमिल की जा रही है और उन्हें साइबर हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। बीते दो दिनों से इस बात को लेकर भी बहस चल रही है कि संसद की सूचना प्रौद्योगिकी मामलों की स्थायी समिति फेसबुक को अपने सामने तलब कर सकती है या नहीं। कांग्रेस सांसद और समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ऐसा इरादा जता चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्थायी समिति के अध्यक्ष को अखबार में छपी खबर के आधार पर किसी गवाह को बुलाने का अधिकार नहीं है। उन्हें इसके लिए लोकसभा के महासचिव तथा समिति सदस्यों से चर्चा करनी होगी। यदि समिति इस विषय में कोई रिपोर्ट तैयार भी करती है तो भी सरकार उसकी अनुशंसाएं मानने को बाध्य नहीं है।
