भारतीय एडटेक क्षेत्र फंडिंग में नरमी के दौर से उबरने के मामले में दूसरे क्षेत्र की तुलना में सुस्त रहा है। फिर भी कारोबार के दमदार बुनियादी तत्वों और टिकाऊ प्रबंधन टीमों वाली कंपनियां इस क्षेत्र में निवेशकों का भरोसा फिर से हासिल कर रही हैं। एरुडिटस के सह-संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी अश्विन दमेरा ने यह जानकारी दी। कंपनी को उम्मीद है कि वह इस वित्त वर्ष में जल्द से जल्द मुनाफे में आ जाएगी और अगले कैलेंडर वर्ष में स्थानांतरण प्रक्रिया पूरी करते हुए वह सिंगापुर से भारत आ जाएगी। इसके बाद वह आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाएगी।
दमेरा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘आम तौर पर यह बात कारोबार के बुनियादी तत्वों निर्भर करती है। लेकिन एक दूसरा कारक भी है, जो प्रबंधन टीम की गुणवत्ता और ईमानदारी है।’ उन्होंने कहा कि कारोबार चलाने का अब यह हमारा 14वां साल है। हम काफी प्रांसगिक हो गए हैं क्योंकि पूंजी के लिहाज से हमारे पास पहले से ही बहुत सारे प्रमुख निवेशक हैं।
इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में जो कुछ भी हुआ है, उसके मद्देनजर टीम की गुणवत्ता और निष्ठा बहुत मायने रखती है। पिछले चार वर्षों के दौरान कंपनी ने विश्वविद्यालय भागीदारी के मामले में 40 प्रतिशत की वृद्धि की है। पिछले दो वर्षों में उसने उद्यम कारेाबार दोगुना कर लिया है। कंपनी ने कहा कि वह मौजूदा भागीदारों के साथ नए कार्यक्रमों और प्रारूपों में निवेश और पेशकश जारी रखे हुए है तथा वैश्विक स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षा भागीदारों के पोर्टफोलियो का विस्तार कर रही है। दमेरा का मानना है कि कंपनी की विकास की संभावनाएं भी उसे प्रतिस्पर्धियों से अलग करती हैं।
एरुडिटस कार्यकारी शिक्षा श्रेणी में काम करती है जहां उसने अपने उपयोगकर्ताओं को लघु पाठ्यक्रम, डिग्री कार्यक्रम, पेशेवर प्रमाणपत्र और वरिष्ठ कार्यकारी कार्यक्रम की पेशकश के लिए करीब 80 विश्वविद्यालयों के साथ भागीदारी कर रखी है। इस साल एडटेक फंडिंग के दूसरे बड़े दौर में एरुडिटस ने हाल में टीपीजी के द राइज फंड की अगुआई में सीरीज एफ फंडिंग में 15 करोड़ डॉलर जुटाए हैं जिसका मूल्यांकन 3.2 अरब डॉलर था। इससे पहले नोएडा की कंपनी फिजिक्स वाला ने पिछले महीने 2.8 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर 21 करोड़ डॉलर की सीरीज बी फंडिंग का बड़ा दौर पूरा किया था।