विश्लेषकों का कहना है कि बजट 2021-22 के प्रस्ताव से वन-पर्सन कंपनी (ओपीसी) के निर्माण को अनुमति मिलेगी और इससे उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।
ओपीसी बोर्ड बैठकों और वित्तीय विवरण को शामिल किए जाने जैसी समय लगने वाली और उबाऊ प्रक्रियाओं की जरूरत दूर करती है।
स्पेशलिस्ट टेक्नोलॉजी लॉ फर्म टेकलीगिस एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर सलमान वारिस ने कहा, ‘नए बदलावों से भारत में संभवत: 200,000 कंपनियों को फायदा हो सकेगा और उनकी अनुपालन जरूरतें आसान होंगी। मौजूदा व्यवस्था की पिछली सीमा के तहत ओपीसी को प्राइवेट या पब्लिक लिमिटेड कंपनी में तब्दील करने का मतलब है कंपनी के व्यापार और कार्य प्रणालियों पर व्यापक सीमाएं लगना।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को बजट में ओपीसी की स्थापना को प्रोत्साहित किए जाने की घोषणा की थी। इस तरह की कंपनियों को चुकता पूंजी और कारोबार पर किसी सीमा के बगैर कारोबार करने की अनुमति दी गई है, साथ ही उन्हें किसी भी समय किसी अन्य तरह की कंपनी में तब्दील होने की अनुमति भी दी गई है। ओपीसी के लिए चुकता पूंजी और कारोबार की सीमा भी बढ़ाई गई है।
उद्यम ऋण प्लेटफॉर्म ब्लैकसोइल के सह-संस्थापक एवं निदेशक अंकुर बंसल ने कहा, ‘चूंकि इस तरह की कंपनी अपने मालिक से अलग है, शेयरधारकों और निदेशकों की व्यक्तिगत परिसंपत्तियां चूक की स्थिति में सुरक्षित बनी रहती हैं। हालांकि प्रॉपराइटरशिप के लिए असीमित देयता है।’
बंसल ने कहा कि प्रॉपराइटरशिप के विपरीत, ओपीसी इक्विटी पूंजी भी जुटा सकती है और वह सरकारी योजनाओं के लिए पात्र होगी।
ग्रेहाउंड रिसर्च के मुख्य कार्याधिकारी संचित वीर गोगिया ने कहा, ‘यह कदम सोलो प्रेन्योरशिप यानी एक व्यक्ति द्वारा कारोबार संचालन को बढ़ावा देगा। ऐसी कंपनी के लिए शुरुआत करने के लिए अन्य निदेशक की जरूरत नहीं होगी।’ ओरियस वेंचर पार्टनर्स के प्रबंध निदेशक अनूप जैन ने कहा, ‘दो निदेशकों की जरूरत एक प्रमुख बाधा थी। यह किसी कंपनी के परिचालन के लिए ज्यादा स्वतंत्रता देता है, स्टार्टअप के लिए और ज्यादा। इसके अलावा, व्यवसाय करने की प्रक्रिया आसान होगी।’
