खोजी पत्रकारों के नेटवर्क ऑर्गनाइज्ड क्राइम ऐंड करप्शन रिपोर्टिग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) की रिपोर्ट में शामिल दो फंडों – इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड (ईआईएफएफ) और ईएम रीसर्जेंट फंड (ईएमआरएफ) का भारत में निवेश छह साल पहले के करीब आधा अरब डॉलर से घटकर मौजूदा समय में शून्य हो गया है।
कैपिटल लाइन के आंकड़े से पता चला है कि ईआईएफएफ इक्विटी हिस्सेदारी चार अदाणी समूह कंपनियों – अदाणी एनर्जी सॉल्युशंस (पूर्व में अदाणी ट्रांसमिशन), अदाणी एंटरप्राइजेज, अदाणी पोर्ट्स ऐंड सेज और अदाणी पावर में 1.89 प्रतिशत से 3.39 प्रतिशत के बीच पहुंच गई थी। इसी तरह, ईएमआरएफ की हिस्सेदारी इन चारों कंपनियों में 1.16 प्रतिशत-2.17 प्रतिशत के बीच पहुंच गई थी।
ओसीसीआरपी के आंकड़े के अनुसार, मार्च 2017 में एक समय, अदाणी शेयरों में ईआईएफएफ और ईएमआरएफ का निवेश 43 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया था। ओसीसीआरपी ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया है, ‘इन निवेश की वजह से बड़ा लाभ हुआ, पिछले कुछ वर्षों में करोड़ों रुपये की कमाई हुई, क्योंकि ईआईएफएफ और ईएमआरएफ ने बार बार कम कीमत पर शेयर खरीदे और ऊंची कीमतों पर बेचे।’
कैपिटल लाइन के आंकड़े से पता चला है कि इन दो फंडों ने 2018 के बाद अदाणी समूह के शेयरों में खरीदारी बंद कर दी। ओसीसीआरपी की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि एक समय एक समय ईआईएफएफ और ईएमआरएफ के फ्री-फ्लोटिंग शेयर चार अदाणी कंपनियों में 8 प्रतिशत से बढ़कर 14 प्रतिशत पर पहुंच गए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर निवेशित पूंजी दो विदेशी निवेशकों चांग चुंग-लिंग और नासर अली शाबन अहली से आई, ये दोनों अदाणी से जुड़ी कंपनियों में निदेशक रहे हैं। ईआईएफएफ और ईएमआरएफ से इस बारे में प्रतिक्रिया हासिल नहीं की जा सकी है। हालांकि इन दोनों फंडों की निवेश प्रबंधक 360 वन ऐसेट मैनेजमेंट (मॉरिशस) ने कहा है कि ये मॉरिशस के फाइनैंशियल सर्विसेज कमीशन के साथ पंजीकृत और पूरी तरह से अनुपालन आधारित फंड हैं।
360 वन डब्ल्यूएएम (पूर्व में आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट के नाम से चर्चित) ने स्टॉक एक्सचेंज को भेजी जानकारी में कहा, ‘न तो अदाणी समूह और न ही इस लेख में शामिल कोई व्यक्ति इन दोनों फंडों में से किसी में निवेशक हैं। मौजूदा समय में इन फंडों का अदाणी समूह के शेयरों में कोई निवेश नहीं है। पिछले समय में, इन फंडों का अदाणी समूह कंपनियों के शेयरों में निवेश था, जिसे 2018 में बेच दिया गया था।’