रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने शुक्रवार को कहा कि बिजली वितरण कंपनियों का कर्ज चालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर 4.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाने की आशंका है। क्रिसिल ने एक बयान में कहा कि सरकार ने वितरण कंपनियों के लिए पिछले महीने 90,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की। इससे कंपनियों को राहत मिली है। लेकिन वितरण कंपनियों के सतत विकास के लिए संरचनात्मक सुधारों की जरूरत है।
बयान के अनुसार पैकेज से राज्य की वितरण कंपनियों को बिजली उत्पादक कंपनियों के पिछले बकाए के निपटान में मदद मिलेगी। क्रिसिल ने कहा कि हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण बिजली मांग कम है और नकदी का नुकसान हो रहा है, ऐसे में वितरण कंपनियो के ऊपर वित्तीय संस्थानों का कर्ज बढ़कर 2020-21 के अंत तक 4.5 लाख करोड़ रुपये या पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक हो जाने की आशंका है।
रेटिंग एजेंसी ने 15 राज्यों की 34 सार्वजनिक क्षेत्र की वितरण कंपनियों के अध्ययन के आधार पर कहा कि कर्ज में इतनी मात्रा में वृद्धि से वितरण कंपनियों का ऋण प्रोफाइल कमजोर होगा। ऐसे में उनके बाजार में बने रहने के लिए संरचनात्मक सुधारों की जरूरत होगी। देश की कुल बिजली मांग में इन वितरण कंपनियों की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है। बयान के अनुसार फिलहाल पांच वितरण कंपनियों में से केवल एक अपनी नकद स्थिति बजटीय सब्सिडी के आधार पर कर्ज की किस्त लौटाने की स्थिति में हैं।