facebookmetapixel
HDFC AMC Share: Q2 में मजबूत मुनाफे के बावजूद गिरा शेयर, ब्रोकरेज हाउस बोले – लगाए रखें पैसा, टारगेट प्राइस बढ़ायाअमेरिका में अदाणी केस पर ब्रेक, अमेरिकी शटडाउन के चलते SEC की कार्रवाई रुकी₹173 करोड़ का बड़ा घोटाला! सेबी ने IEX में इनसाइडर ट्रेडिंग का किया पर्दाफाशL&T, Tata Power समेत इन 3 स्टॉक्स में दिखा ब्रेकआउट, ब्रोकरेज ने बताए टारगेट और स्टॉप लॉसQ2 results today: Infosys और Wipro समेत 60 से ज्यादा कंपनियों के आज आएंगे नतीजे, चेक करें पूरी लिस्ट₹1,800 से लेकर ₹5,150 तक के टारगेट्स, मोतीलाल ओसवाल ने इन तीन स्टॉक्स पर दी BUY की सलाहStocks to watch today, Oct 16: Infosys से लेकर Wipro, Axis Bank और Jio Fin तक, आज इन स्टॉक्स में दिखेगा एक्शनStock Market Update : शेयर बाजार की तेज शुरुआत, सेंसेक्स 320 अंक ऊपर; निफ्टी 25400 के पारअगस्त के दौरान भारत का विदेश में प्रत्यक्ष निवेश लगभग 50 प्रतिशत घटाभारतीय रिजर्व बैंक और सरकार के कारण बढ़ा बैंकों में विदेशी निवेश

आईबीए की एयरेटेड पेय पदार्थों को हानिकारक वस्तु के तौर पर वर्गीकृत नहीं करने की मांग

एसोसिएशन ने कहा है कि इसके अलावा बड़े पैमाने पर खपत के कारण इसे 18 फीसदी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की श्रेणी में लाई जाए।

Last Updated- August 27, 2025 | 10:01 PM IST
Soft Drinks
प्रतीकात्मक तस्वीर

इंडियन बेवरिज एसोसिएशन (आईबीए) ने एयरेटेड पेय पदार्थों को हानिकारक वस्तु के तौर पर वर्गीकृत नहीं करने की मांग की है। इसके अलावा एसोसिएशन ने कहा है कि बड़े पैमाने पर खपत के कारण इसे 18 फीसदी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की श्रेणी में लाई जाए।

अपनी याचिका में एसोसिएशन ने कहा कि टैक्स इंडिया ऑनलाइन के स्वतंत्र विश्लेषण से पता चलता है कि इस क्षेत्र की उच्च मूल्य लोच से जीएसटी दर कम करने से मात्रा बढ़ेगी और मांग में भी इजाफा होगा। एसोसिएशन ने अपनी याचिका में कहा है, ‘साल 2025 तक 277 करोड़ रुपये का शुरुआती राजकोषीय असर दिख सकता है, लेकिन 2026 के बाद से बढ़ते अनुपालन और खपत के कारण सालाना 32 से 591 करोड़ रुपये का शुद्ध राजस्व अधिशेष अनुमानित है। कमी अल्पावधि में राजकोषीय रूप से तटस्थ और मध्यावधि में राजस्व सकारात्मक है।’

फिलहाल, एयरेटेड पेय पदार्थों को खराब वस्तु के तौर पर गलत तरीके से वर्गीकृत किया जाता है। इससे 40 फीसदी कराधान (28 फीसदी जीएसटी और 12 फीसदी का अतिरिक्त क्षतिपूर्ति उपकर) होता है। इसने कहा कि मौजूदा कराधान के कारण वे अनुचित तरीके से तंबाकू और पान मसाला के बराबर हो जाते हैं, जबकि इनमें सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी कोई खास चिंता नहीं है। सरकार को दी गई अपनी याचिका में कहा है, ‘इस तरह के कराधान से कम आय वाले उपभोक्ताओं पर असमान बोझ पड़ता है और फल आधारित तथा कम व बगैर चीनी वाले विकल्पों को लोग नहीं देखते हैं, जो स्वास्थ्यवर्धक विकल्प प्रदान करते हैं। इसलिए चीनी आधारित कराधान नजरिये पर विचार किया जाना चाहिए, जो वैश्विक तौर पर स्वीकृत मॉडलों के अनुरूप होनी चाहिए।’

इसके अलावा एसोसिएशन ने कहा कि फिलहाल फल वाले जूस पर 12 फीसदी कर लगता है और इसे 5 फीसदी कर के दायरे में वर्गीकृत करना चाहिए। एसोसिएशन ने कहा कि कार्बोनेटेड पेय पदार्थ महंगे होते हैं और करीब 71 फीसदी लेनदेन 20 रुपये या उससे अधिक कीमत पर होते हैं। देश के 65 फीसदी उपभोक्ता निम्न आय वर्ग के हैं।

First Published - August 27, 2025 | 9:55 PM IST

संबंधित पोस्ट