डेलॉयट इंडिया की सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल भारतीय कंपनियों में औसतन 9 फीसदी वेतन वृद्धि हो सकती है। यह इससे पहले महीने की शुरुआत में अर्न्स्ट ऐंड यंग (ईवाई) के अनुमान 9.6 फीसदी से कम है। डेलॉयट इंडिया द्वारा 2024 का अनुमान पिछले साल यानी 2023 के 9.2 फीसदी से भी कम है।
डेलॉयट इंडिया टैलेंट आउटलुक 2024 के अनुसार, भले ही यह पिछले साल से कम है मगर साल 2024 में आय वृद्धि का अनुमान सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और बीपीओ क्षेत्र को छोड़कर सभी क्षेत्रों में वैश्विक महामारी कोविड-19 के पहले से अधिक है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पदोन्नति पाने वाले कर्मचारियों की संख्या साल 2023 के 12.3 फीसदी से घटकर साल 2024 में 11.5 फीसदी रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियां छोटे कर्मचारियों का वेतन दो अंकों में बढ़ा सकती है, लेकिन इसके लिए उनके प्रदर्शन को ध्यान में रखा जाएगा। मगर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले कर्मचारी औसत कर्मचारियों की तुलना में 1.8 गुना ज्यादा वेतन वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं। ट
परफॉर्मेंस बोनस के मामले में हर दो में से एक कंपनी साल 2024 के लक्ष्य या लक्ष्य से अधिक बोनस दे सकती है। कंपनियां बेहतरीन काम करने वाले कर्मचारियों को बरकरार रखने के लिए पदोन्नति के साथ 7.5 फीसदी वेतन वृद्धि कर सकती है।
डेलॉयट इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नौकरी छोड़ने की दर साल 2022 के 20.2 फीसदी से घटकर साल 2023 में 18.1 फीसदी हो गई है। नियुक्ति प्रक्रिया में धीमी गति के कारण ऐसा हुआ है। इससे पहले ईवाई की रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 2023 में नौकरी छोड़ने की दर 18.1 फीसदी थी। यह कोविड-19 की अवधि के दौरान देखे गए स्तर से कम है।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर (सीएचआरओ प्रोग्राम लीडर) आंनदरूप घोष ने कहा, ‘नौकरी छोड़ने की दर और मुख्य मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के साथ, संगठन मार्जिन बचाने और बढ़ावा देने के लिए प्रदर्शन आधारित रणनीतियों पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। दुनिया भर में भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है और अन्य भौगोलिक क्षेत्रों की तुलना में सबसे अधिक वृद्धि देख सकता है।’
सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया है कि भारतीय कंपनियां अब अपने कार्यबल के कौशल बढ़ाने के लिए पहले से ज्यादा वैज्ञानिक दृष्टिकोण का उपयोग कर रही हैं। इसमें कहा गया है कि आज सभी संगठनों में से 75 फीसदी के पास कौशल ढांचा है, फिर भी इसमें सुधार की दरकार है। इन 75 फीसदी में से 25 फीसदी व्यवसाय की भावी जरूरतों से मेल खाने के लिए इसे नियमित रूप से अपडेट नहीं कर रहे हैं।
इसमें कहा गया है, ‘हालांकि सीएक्सओ के पास नौकरियों में कौशल की मांग और आपूर्ति की बेहतर समझ है, लेकिन पिछले साल के 19 फीसदी की तुलना में केवल 30 फीसदी कंपनियां ही इसे बरकरार रखती हैं। अधिकांश संगठन वित्तीय सुधार से सीधे जोड़ने के बजाय उपयोग और लागत दक्षता को प्राथमिकता देते हैं।’