केंद्र की योजना ओएनसीजी से राइट्स इश्यू पर विचार करने के लिए कहने की है ताकि रिफाइनिंग कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन की हरित परियोजनाओं की फंडिंग में मदद मिल सके। इस कवायद से करीब 1.9 अरब डॉलर जुटाए जा सकते हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
यह टिप्पणी वित्त मंत्री की उस घोषणा के बाद मिली है जिसमें उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा की मद में इस बड़ी सरकारी तेल रिफाइनर की मदद के लिए इस साल 300 अरब रुपये की इक्विटी देने की योजना के बारे में कहा था।
सूत्रों के अनुसार एचपीसीएल के लिए सरकार कुछ विकल्पों पर विचार कर रही है, जिसमें तरजीही दर पर सीधे कर्ज मुहैया कराना शामिल है। तेल मंत्रालय ओएनजीसी की तरफ से राइट्स इश्यू की पेशकश की योजना पर वित्त मंत्रालय के जवाब की प्रतीक्षा कर रहा है।
विगत में दो अन्य सरकारी रिफाइनर की तरफ से घोषित राइट्स इश्यू के आधार पर ओएनजीसी के इश्यू से करीब 155 अरब रुपये (1.86 अरब डॉलर) जुटाए जा सकते हैं।
रॉयटर्स की गणना से यह जानकारी मिली। साल 2018 में सरकार ने एचपीसीएल की पूरी 51.1 फीसदी हिस्सेदारी ओएनजीसी को बेच दी और इसे देश की अग्रणी ऊर्जा कंपनी की सहायक बना दिया था। सरकार के पास ओएनजीसी की 58.93 फीसदी हिस्सेदारी है।
सूत्रों ने कहा कि शुरू में सरकार की योजना तरजीही शेयरों के आवंटन के जरिये एचपीसीएल को फंड देने की थी, लेकिन इससे ओएनजीसी की हिस्सेदारी 50 फीसदी से नीचे आने का जोखिम था और इस तरह से एचपीसीएल पर सरकार का अप्रत्यक्ष नियंत्रण खत्म हो जाता।
ओएनजीसी, एचपीसीएल और तेल व वित्त मंत्रालय ने इस बारे में तत्काल टिप्पणी नहीं की। भारत की अन्य सरकारी रिफाइनर इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम ने क्रमश: 220 अरब रुपये व 180 अरब रुपये के राइट्स इश्यू की योजना घोषित की है।
इंडियन ऑयल में सरकार की हिस्सेदारी 51.5 फीसदी है जबकि बीपीसीएल में 52.98 फीसदी। हालांकि एचपीसीएल में रकम कैसे निवेश की जाए, इस पर सरकार से स्पष्टता के अभाव के कारण आईओसी व बीपीसीएल के राइट्स इश्यू की पेशकश में देर हुई है। दोनों इश्यू अक्टूबर के आखिर में पेश किए जाने की योजना थी।