चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 23) की मार्च तिमाही (चौथी तिमाही) में सीमेंट कंपनियां कमाई के बेहतर आंकड़े दर्ज कर सकती हैं क्योंकि इनपुट लागत कम हो रही है, मूल्य निर्धारण गतिविधि दोबारा शुरू रही है और सीमेंट की मांग स्थिर बनी हुई है। हालांकि कंपनियां अपने परिदृश्य के संबंध में सतर्क रहते हुए उम्मीद जता रही हैं, लेकिन विश्लेषक और क्षेत्र के विशेषज्ञ आशावान बने हुए हैं।
ब्रोकर फर्म आईडीबीआई कैपिटल ने सीमेंट क्षेत्र पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि सीमेंट कंपनियों के मामले में प्रति टन एबिटा चौथी तिमाही के दौरान क्रमिक रूप से 200 से 300 रुपये तक सुधर सकता है। ब्रोकर हाउस ने कहा कि मार्च तिमाही में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत तक की मात्रात्मक वृद्धि, ईंधन लागत में 10 प्रतिशत की क्रमिक गिरावट और इस अवधि के दौरान एक से चार प्रतिशत की क्रमिक मूल्य वृद्धि से इसे मदद मिलने की संभावना है।
विशेषज्ञों के मुताबिक तीसरी तिमाही में सीमेंट कंपनियों का प्रति टन एबिटा औसतन 760 से 780 रुपये था, जो एक ससाल पहले की तुलना में 120 से 130 रुपये कम रहा। तीसरी तिमाही के दौरान सीमेंट कंपनियों के एबिटा में क्रमिक रूप से प्रति टन 180 से 190 रुपये का सुधार हुआ था। चौथी तिमाही में इस पैमाइश में इजाफा होने के आसार हैं।
पिछले सप्ताह एक रिपोर्ट में अनुसंधान और रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि सीमेंट निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले कोयले और पेट्रोलियम कोक के दाम कम हो रहे हैं, जिससे कंपनियों के परिचालन मार्जिन में सहायता मिलेगी।
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क्रिसिल के एसोसिएट निदेशक (अनुसंधान) कौस्तुभ मजूमदार ने कहा कि वित्त वर्ष 23 की सितंबर तिमाही में दशक के निचले स्तर तक की गिरावट के बाद ईंधन के दामों में नरमी की वजह से उद्योग का मार्जिन दिसंबर तिमाही में 390 आधार अंक तक सुधर कर 13.8 प्रतिशत हो गया। कंपनियों के परिचालन मार्जिन में होने वाला बड़ा सुधार ईंधन के दामों में निरंतर नरमी पर निर्भर करेगा।
मजूमदार ने कहा कि सीमेंट कंपनियों की उत्पादन लागत में एक-तिहाई (30-35 फीसदी) हिस्सा बिजली और ईंधन की लागत का होता है। हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध ने पिछले साल आपूर्ति पक्ष की चिंताओं को बढ़ा दिया था, लेकिन अब ये दिक्कतें कम हो गई हैं।