चीन की इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माता BYD हैदराबाद के पास एक प्रोडक्शन यूनिट स्थापित करने की तैयारी कर रही है। गुरुवार को ईटीवी भारत की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। अगर यह प्लांट लगता है तो तेलंगाना, BYD फैक्ट्री की मेजबानी करने वाला भारत का पहला राज्य बन जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, इस फैसले से पहले राज्य सरकार के साथ लंबी बातचीत हुई है और सरकार ने इस परियोजना के लिए भूमि आवंटन समेत पूरा समर्थन देने का भरोसा दिया है। तेलंगाना सरकार ने फैक्ट्री के लिए हैदराबाद के पास तीन संभावित स्थानों का सुझाव दिया है। फिलहाल BYD के प्रतिनिधि इन जगहों का निरीक्षण कर रहे हैं, जिसके बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा।
एक बार पुष्टि हो जाने के बाद, कंपनी और राज्य अधिकारियों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। यदि यह परियोजना योजना के अनुसार आगे बढ़ती है, तो तेलंगाना इलेक्ट्रिक वाहन सेक्टर में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े निवेशों में से एक हासिल कर लेगा। इसके अलावा, यह पहल ईवी कंपोनेंट्स बनाने वाले सहायक उद्योगों की स्थापना का रास्ता भी खोल सकती है, जिससे हैदराबाद के आसपास एक ऑटोमोटिव क्लस्टर विकसित हो सकता है।
BYD कई वर्षों से भारत में मौजूद है, लेकिन कंपनी की अभी तक देश में कोई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट नहीं है। फिलहाल वह चीन से इलेक्ट्रिक वाहन आयात करती है, जिस पर भारी आयात शुल्क लगता है। इसका असर गाड़ियों की कीमतों पर पड़ता है और कंपनी की बाजार पहुंच सीमित रहती है। अगर भारत में स्थानीय स्तर पर यूनिट स्थापित की जाती है तो लागत में बड़ी कमी आ सकती है, जिससे बिक्री बढ़ने और भारत के EV मार्केट में BYD की प्रतिस्पर्धा मजबूत होने की संभावना है।
पिछले दो वर्षों से BYD भारत में प्रोडक्शन फैसिलिटी स्थापित करने के विकल्प तलाश रही थी। हालांकि, चीनी निवेश पर सख्त नियमों के चलते कंपनी की योजना में देरी हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2023 में भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने के लिए BYD और उसके हैदराबाद स्थित साझेदार मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) के 1 अरब डॉलर के निवेश प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
ज्वाइंट वेंचर का लक्ष्य तेलंगाना में 8,200 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ प्लांट स्थापित करना था। प्रस्ताव वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को प्रस्तुत किया गया था और बाद में भारी उद्योग, विदेश और गृह मंत्रालयों द्वारा अस्वीकार किए जाने से पहले इसकी समीक्षा की गई थी। हालांकि हाल ही में नीतियों में किए गए कुछ बदलावों के चलते प्रतिबंधों में ढील दी गई है, जिससे कंपनी अब अपने विस्तार की योजनाओं को आगे बढ़ाती नजर आ रही है। इसके अलावा, फिलहाल BYD की मेघा ग्रुप की सब्सिडियरी Olectra Greentech के साथ एक तकनीकी साझेदारी पहले से मौजूद है, जो हैदराबाद में कई वर्षों से इलेक्ट्रिक बसें चला रही है।
Olectra Greentech इन बसों का निर्माण BYD की तकनीक से करती है और उन्हें देशभर में सप्लाई करती है। उद्योग से जुड़े विश्लेषकों का मानना है कि इस मौजूदा सहयोग ने BYD के अपने नए प्लांट के लिए तेलंगाना को चुनने के निर्णय को प्रभावित किया होगा।
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वाहन असेंबली से आगे बढ़ते हुए, BYD भारत में 20 गीगावॉट की बैटरी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने की योजना भी बना रही है। आने वाले पांच से सात वर्षों में कंपनी का लक्ष्य हर साल 6 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन की क्षमता हासिल करना है। इस विस्तार के लिए BYD को बड़ा निवेश करना होगा। हाल ही में कंपनी ने रेवेन्यू के मामले में टेस्ला (Tesla) को भी पीछे छोड़ दिया है। BYD ने लगभग 107 अरब डॉलर (₹9.20 लाख करोड़) का रेवेन्यू हासिल किया, जबकि टेस्ला का रेवेन्यू 97.7 अरब डॉलर (₹8.40 लाख करोड़) रहा।
जहां एक ओर टेस्ला को चीन और यूरोप में गिरती बिक्री का सामना करना पड़ रहा है, वहीं BYD लगातार इनोवेशन और विस्तार कर रही है। कंपनी ने अत्याधुनिक तकनीक पेश की है, जिसमें 1 मेगावाट की फ्लैश चार्जर शामिल है जो किसी वाहन को केवल 5 से 8 मिनट में पूरी तरह चार्ज करने में सक्षम है। यह बड़ी उपलब्धि एक बार चार्ज करने पर इलेक्ट्रिक वाहन को 400 किलोमीटर तक चलने की क्षमता देती है, जो इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के भविष्य को पूरी तरह बदल सकती है।