खस्ताहाल दूरसंचार कंपनी महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) को कर्ज देने वाले सरकारी बैंक कंपनी में फंसे 8,144 करोड़ रुपये के अपने कर्ज में 20 फीसदी नुकसान उठाने के लिए राजी हो सकते हैं। सरकारी स्वामित्व वाली इस दूरसंचार कंपनी को बैंकों द्वारा दिया गया कर्ज गैर-निष्पादित आस्ति (एनपीए) बन गया है। एमटीएनएल के संयुक्त ऋणदाता फोरम ने हाल ही में इस मुद्दे पर चर्चा की थी और वित्तीय सेवाओं के विभाग को अपना इरादा बता दिया है। संयुक्त ऋणदाता फोरम में सार्वजनिक क्षेत्र के 7 बैंक शामिल हैं। घटनाक्रम के जानकार कई लोगों ने इसकी पुष्टि की है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘एमटीएनएल ने कुछ महीने पहले सरकारी बैंकों को कुल बकाये का 40 फीसदी भुगतान करने की बात कही थी और यह भी कहा था कि उन्हें 60 फीसदी बकाया कर्ज छोड़ना पड़ेगा। लेकिन यह बात हमें मंजूर नहीं थी। हम वाणिज्यिक संस्था हैं, इसलिए हम इस तरह का घाटा बरदाश्त नहीं कर सकते। हमें उम्मीद है कि दूरसंचार विभाग और एमटीएनएल हमारी बात सुनेंगे। एमटीएनएल सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है इसलिए सरकारी स्तर पर बातचीत अधिक महत्त्वपूर्ण होगी।’
सार्वजनिक क्षेत्र के जिन सात बैंकों का कर्ज एमटीएनएल में फंसा है, उनमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के सबसे ज्यादा 3,543 करोड़ रुपये हैं। उसके बाद इंडियन ओवरसीज बैंक के 2,319 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ इंडिया के 1,053 करोड़ रुपये, पंजाब नैशनल बैंक के 454 करोड़ रुपये, भारतीय स्टेट बैंक के 337 करोड़ रुपये, यूको बैंक के 260 करोड़ रुपये और पंजाब ऐंड सिंध बैंक के 176 करोड़ रुपये कंपनी में फंसे हुए हैं। एमटीएनएल पिछल साल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कर्ज समय से नहीं चुका पाई थी। घाटा झेलने के लिए बैंकों की सहमति पर दूरसंचार विभाग, वित्त मंत्रालय, एमटीएनएल और सातों सरकारी बैंकों को ईमेल लिखकर सवाल पूछे गए मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।
तीन वरिष्ठ बैंकरों ने कहा कि एमटीएनएल या दूरसंचार विभाग के साथ हाल में कोई बैठक नहीं हुई है मगर सरकार में इस बारे में आंतरिक स्तर पर चर्चा चल रही है। केयरएज रेटिंग्स में वरिष्ठ निदेशक संजय अग्रवाल ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार बैंकों को किसी सुरक्षित परिसंपत्ति को एनपीए की श्रेणी में रखे जाने पर पहली बार कुल फंसे कर्ज की 15 फीसदी रकम अलग रखनी होती है। ऐसे में संभावना है कि बैंकों ने फंसे कर्ज के लिए आवश्यक राशि अलग रख ली है।’
वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में एमटीएनएल का शुद्ध घाटा बढ़कर 890.3 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 792.8 करोड़ रुपये था। इसके साथ ही 30 सितंबर, 2024 को समाप्त तिमाही में कंपनी की परिचालन आय इससे पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 11.9 फीसदी घटकर 174.23 करोड़ रुपये रह गई थी। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में एमटीएनएल का कुल खर्च 4.4 फीसदी बढ़कर 1,217.56 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था।
एमटीएनएल में केंद्र सरकार की 56.25 फीसदी हिस्सेदारी है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर एमटीएनएल का शेयर आज 4.21 फीसदी बढ़कर 45.3 रुपये पर बंद हुआ।