अमेरिकी फर्म प्रैट ऐंड व्हिटनी (P&W) से खराब इंजन मिलने के कारण भारतीय विमानन क्षेत्र को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। गो फर्स्ट के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि इंजन खराब होने के कारण लगभग 60 भारतीय विमान बेकार खड़े हैं। उन्होंने कहा कि विमान बेकार खड़े रहने से हवाई किराया भी काफी बढ़ गया है।
उन्होंने पट्टे पर विमान देने वाली, इंजन बनाने वाली और विमान बनाने वाली कंपनियों के संगठन एविएशन वर्किंग ग्रुप (AWG) से कहा कि P&W को इंजन आपूर्ति का उसका वादा पूरा करने के लिए कहा जाए। उन्होंने दावा किया कि AWG के सदस्य राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील पंचाट (NCLT) को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। पट्टा कंपनियां गो फर्स्ट के दिवालिया आवेदन को राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (NCLT) द्वारा स्वीकार किए जाने के खिलाफ एनसीएलएटी पहुंच गई हैं। AWG में बोइंग, एयरबस, P&W, रॉल्स रॉयस और SMBC जैसी पट्टा कंपनियां बतौर सदस्य शामिल हैं।
पट्टा कंपनियां गो फर्स्ट के विमानों का पट्टा रुकने के बाद भी उनका पंजीकरण खत्म कराने में विफल रहीं। इसके बाद AWG ने भारत को निगरानी वाली सूची में डाल दिया है। गो फर्स्ट के अधिकारियों ने इस खबर पर कहा कि AWG गो फर्स्ट और इंडिगो को पीऐंडडब्ल्यू से खराब इंजन मिलने के कारण हुए भारी नुकसान की समस्या दूर करता तो बेहतर होता।
गो फर्स्ट के चेयरमैन वरुण बेरी ने कहा, ‘इंजन या विमान बनाने वाली कंपनियां घटिया इंजन या विमान देने के बाद अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती हैं क्योंकि इसकी वजह से स्थानीय विमानन कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।’ P&W से इंजन नहीं मिलने के कारण भारतीय विमानन उद्योग की काफी क्षमता इस्तेमाल नहीं हो पा रही।
बोइंग कमर्शियल एयरप्लेन्स के उपाध्यक्ष (भारत के लिए बिक्री एवं मार्केटिंग) रायन वेर ने एक अलग संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर विमानों पर कब्जे से रोकने का आदेश बरकरार रहता है तो भारत में विमानों के किराये पर असर पड़ने की उन्हें चिंता है।
वाडिया समूह के एक सूत्र ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘P&W और AWG के दूसरे सदस्य इंजनों तथा विमानों की आपूर्ति का अपना वादा पूरा करने में सैकड़ों विमान खड़े नहीं करने पड़ते तो वेर की चिंता दूर हो जाती।’ P&W इंजनों वाले एयरबस नियो को कम ईंधन खर्च करने वाला बताकर बेचा गया था मगर वह भी खरा नहीं उतरा।
Also read: धोखाधड़ी मामले में तीन ब्रोकरों पर जांच की तलवार, करोड़ों रुपये की मनी लॉन्डरिंग का है आरोप
सूत्र ने कहा, ‘भारत के बारे में बयान जारी करने के बजाय AWG को अपने सदस्य P&W को अंतरराष्ट्रीय कानूनों और दो मध्यस्थता आदेशों का पालन करने के लिए कहना चाहिए और गो फर्स्ट की वे समस्याएं दूर करने के लिए भी कहना चाहिए, जिनकी वजह से उसे NCLT में जाना पड़ा।’ उनका कहना है कि AWG अपने संगठन का उपयोग अहम सुनवाई से पहले भारत के अपील पंचाट को प्रभावित करने के लिए कर रहा है।
सिंगापुर मध्यस्थता आदेश के बावजूद P&W गो फर्स्ट को विमान इंजन की आपूर्ति करने में विफल रही। आदेश के तहत गो फर्स्ट को इस साल 28 अप्रैल से हर महीने कम से कम 10 इंजन देने थे ताकि हर महीने 5 और विमान उड़ने के लायक बनाए जा सकें।
दिवालिया याचिका दायर करते समय गो फर्स्ट के करीब 28 विमान सिंगापुर मध्यस्थता अदालत के दो आदेश के बावजूद ठप खड़े थे क्योंकि P&W ने उन्हें इंजन नहीं दिए थे। गो फर्स्ट के अलावा इंडिगो और स्पाइसजेट के भी कई विमान पीऐंडडब्ल्यू से इंजन नहीं मिलने के कारण ठप पड़े हैं।
Also read: वित्त वर्ष 23 में श्रीराम लाइफ इंश्योरेंस का नेट प्रॉफिट 50 गुना बढ़कर 156 करोड़ रुपये पर पहुंचा
गो फर्स्ट ने NCLT में स्वैच्छिक दिवालिया याचिका दायर करने के बाद 3 मई से अपनी सभी उड़ानें बंद कर दीं। पंचाट ने कंपनी के परिचालन में मदद और देखरेख के लिए समाधान पेशेवर नियुक्त कर दिया है। उसके बाद पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों ने NCLT के आदेश के खिलाफ NCLT में अपील की। NCLT के आदेश के मुताबिक पट्टा कंपनियां अपने विमान वापस नहीं ले सकतीं।
बेरी ने कहा कि सिंगापुर मध्यस्थता अदालत से दो आदेश जारी होने के बावजूद P&W ने इंजन देने से इनकार कर दिया जिससे गो फर्स्ट को दिवालिया याचिका दायर करनी पड़ी। बाद में विमानन कंपनी ने मध्यस्थता फैसला लागू कराने के लिए अमेरिका की डेलावेयर अदालत का रुख किया।
बेरी ने कहा, ‘इंजन विनिर्माता द्वारा गुणवत्ताहीन उत्पादों की आपूर्ति से पूरे भारतीय विमानन उद्योग को झटका लगा है। मुख्य समस्या यह है कि इस इंजन को 15,300 घंटे की कुल उड़ानों के बजाय 3,000 से 4,900 घंटे की उड़ानों में ही इस्तेमाल किया जा सकता है। इसलिए इंजन की आवश्यक रखरखाव की अवधि भी 5 साल से घटकर 12 से 15 महीने रह गई है।’
Also read: Hero Electric: वित्त वर्ष 23 तक हीरो इलेक्ट्रिक लाएगी IPO, 20 लाख वाहनों की बिक्री कंपनी का लक्ष्य
P&W ने पहले कहा था कि वह गो फर्स्ट द्वारा लगाए गए आरोपों पर अदालत में अपना पक्ष रखेगी। P&W के प्रवक्ता ने संवाददाताओं से कहा था, ‘गो फर्स्ट का यह आरोप बिल्कुल बेबुनियाद है कि उसकी इस वित्तीय स्थिति के लिए प्रैट ऐंड व्हिटनी जिम्मेदार है। प्रैट ऐंड व्हिटनी गो फर्स्ट के दावे के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाएगी।’
गो फर्स्ट के अधिकारियों ने कहा कि भारत सरकार ने करीब 3 साल पहले P&W से भारत में एक एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत एवं परिचालन) इकाई स्थापित करने के लिए कहा था। मगर इंजन विनिर्माता ने इस दिशा में कुछ भी नहीं किया है।