इलेक्ट्रिक दोपहिया विनिर्माता हीरो इलेक्ट्रिक (Hero Electric) अगले दो साल में भारतीय शेयर बाजारों में सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध होने की योजना बना रही है। हीरो इलेक्ट्रिक के मुख्य कार्याधिकारी सोहिंदर गिल (Sohinder Gill) ने बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी। हालांकि, वित्त वर्ष 2026 के अंत तक सूचीबद्ध होने से पहले कंपनी का लक्ष्य अपनी बाजार हिस्सेदारी का विस्तार करना और 20 लाख वाहनों की बिक्री करना है। कंपनी ने वित्त वर्ष 23 में 1,00,000 वाहन बेचे हैं।
गिल ने कहा कि यह (सूचीबद्धता) जरूरी कदम है, लेकिन इसके लिए तैयारी और समय होना चाहिए। जब हम 20 लाख वाहन बिक्री तक पहुंचेंगे, तब सार्वजनिक पेशकश का बेहतर वक्त होगा। उन्होंने कहा कि हम ट्रैक रिकॉर्ड के साथ साबित करने और फिर उसकी रूपरेखा तैयार करने में विश्वास करते हैं और यह दो साल के समय में होगा।
यह लक्ष्य हासिल करने के लिए आवश्यक वृद्धि दर के लिए इलेक्ट्रिक दोपहिया विनिर्माता धन जुटाने के साथ कारोबार और उत्पादों में कैपेक्स-लाइट मॉडल पर भरोसा जता रही है। कंपनी इक्विटी और डेट फंडिंग, दोनों से ही पैसा जुटाने पर विचार कर रही है।
हालांकि कंपनी की योजना इस साल सितंबर तक 2,000 करोड़ रुपये जुटाने की थी, लेकिन भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा की जा रही स्थानीयकरण संबंधी जांच के कारण पैसा जुटाने की समयसीमा पूरे एक साल के लिए बढ़ा दी गई है।
गिल ने कहा कि हमारी प्राथमिकता रणनीतिक इक्विटी निवेशक और फिर डेट होगा। हमारी 2,000 करोड़ रुपये की रकम जुटाने की समयसीमा को अब पूरे वर्ष के लिए स्थानांतरित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी योजना इस धब्बे और बाजार में नकारात्मकता में सुधार के लिए प्रतीक्षा करने की है। हम मौजूदा उलझनों के कारण मूल्यांकन बर्बाद नहीं करना चाहते हैं।
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अब तक हीरो इलेक्ट्रिक रकम जुटाने की कवायद में कुल 380 करोड़ रुपये जुटा चुकी है। दिसंबर 2018 में कंपनी ने रकम जुटाने की अपनी सर्वप्रथम कवायद में 160 करोड़ रुपये जुटाए थे। इक्विटी बिक्री के जरिये कंपनी ने अल्फा कैपिटल एडवाइजर्स को अल्पांश हिस्सेदारी बेचकर ऐसा किया था। जुलाई 2021 में इसने गल्फ इस्लामिक इन्वेस्टमेंट्स एलएलसी (जीआईआई) से सीरीज बी फंडिंग में 220 करोड़ रुपये जुटाए थे।
भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा उन कंपनियों की जांच में हीरो इलेक्ट्रिक का नाम आने के बाद से इसे आलोचना झेलनी पड़ी थी, जिन्होंने फेम 2 योजना के चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया था।
अप्रैल में मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला कि आयातित पुर्जों का बड़े स्तर पर उपयोग किया गया था, जो ओकिनावा स्कूटर के साथ-साथ हीरो इलेक्ट्रिक द्वारा कथित तौर पर पीएमपी के दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन था। सरकार ने कंपनी को 133 करोड़ रुपये चुकाने के लिए भी कहा, जो उसने 2019 से सब्सिडी में दावा किया था और इसे फेम प्रोत्साहन से रोक दिया था।