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अटका कर्ज.. बजाज हिंदुस्तान एनपीए घो​षित

Last Updated- December 11, 2022 | 5:47 PM IST

देश की सबसे बड़ी चीनी उत्पादक कंपनियों में शुमार बजाज हिंदुस्तान शुगर को बैंकों ने फंसा कर्ज (एनपीए) घोषित कर दिया है क्योंकि कंपनी बैंकों का कर्ज नहीं चुका पाई है। इस साल मार्च तक कंपनी पर 4,814 करोड़ रुपये का कर्ज था। दो बड़े बैंकों के अधिकारियों ने कहा कि मार्च के अंत से कुछ कर्जों का भुगतान बाकी था। कंपनी पर उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की रकम भी बकाया है। कंपनी की कुल 14 मिलें हैं और सभी उत्तर प्रदेश में हैं। बैंक अधिकारियों ने कहा कि बजाज हिंदुस्तान का कर्ज फंस रहा है और इसने ऋणदाताओं को भुगतान में देर की है। इसी वजह से उसे जून के आखिर में एनपीए घोषित कर दिया गया।
एक अ​धिकारी ने कहा, ‘कंपनी ने ऋणदाताओं के सामने पुनर्गठन योजना का प्रस्ताव रखा है, जिस पर इस समय विचार-विमर्श किया जा रहा है। प्रवर्तकों को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियमों के अनुरूप पुनर्गठन योजना के तहत एक निश्चित धनराशि का निवेश करना होगा और कंपनी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करनी होगी।’ बंबई स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी में प्रवर्तकों की 25 फीसदी हिस्सेदारी है।
कंपनी के सलाहकार ने कहा कि पुनर्गठन आरबीआई के 7 जून 2019 के परिपत्र के मुताबिक किया जा रहा है और इस समय बैंकों के साथ बातचीत चल रही है। बजाज हिंदुस्तान के एक प्रवक्ता ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। कंपनी का शेयर आज 13 रुपये पर बंद हुआ, जिस हिसाब से उसका बाजार मूल्यांकन 1,684 करोड़ रुपये बैठता है।
बजाज हिंदुस्तान की वेबसाइट के मुताबिक यह देश की सबसे बड़ी चीनी और एथेनॉल उत्पादक कंपनी है। इसकी दैनिक गन्ना पेराई क्षमता 1.36 लाख टन है और यह रोजाना 8 लाख लीटर अल्कोहल तैयार कर सकती है। यह बजाज परिवार की कंपनी है। इस परिवार की मौजूदगी दोपहिया, तिपहिया, वित्त, उपभोक्ता उत्पाद और अन्य कई उद्योगों में है। ​दिवंगत राहुल बजाज के भाई शिशिर बजाज 2008 में यह कंपनी लेकर अलग हो गए। शिशिर के बेटे कुशाग्र बजाज इस समय बजाज हिंदुस्तान के चेयरमैन हैं।
बजाज हिंदुस्तान शुगर ने मार्च तिमाही के ​अपने नतीजों में कहा कि फंसी परिसंपत्तियों के पुनर्गठन की योजना के तहत उसने संयुक्त ऋणदाता मंच को 3,483 करोड़ रुपये के वैकल्पिक परिवर्तनीय डिबेंचर (ओसीडी) जारी किए हैं। डिबेंचर धारक कानून के मुताबिक निर्धारित कीमत पर इन ओसीडी को शेयरों में बदल सकता है। इस साल मार्च में कंपनी पर ऋणदाताओं के 1,784 करोड़ रुपये इसके वैकल्पिक परिवर्तनीय डिबेंचर पर बतौर प्रीमियम बकाया थे। कंपनी ने इसे भविष्य की देनदारी माना था। कंपनी को 500 करोड़ रुपये की दो किस्तों में 21 जनवरी 2022 और 3 फरवरी 2022 को एस्क्रो खातों में 1,000 करोड़ रुपये मिले हैं। इसका इस्तेमाल राज्य की 14 गन्ना मिलों पर मौजूद किसानों का बकाया चुकाने में किया जाना है।

First Published - July 5, 2022 | 11:40 PM IST

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