पिछले कुछ सालों से जल्दी नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों की बढ़ती तादाद से परेशान कंपनियों को अब कुछ सुकुन मिलने की उम्मीद है।
मानव संसाधन विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया भर में छाई आर्थिक मंदी के कारण अगली दो तिमाही तक नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों की संख्या में कमी आएगी। वित्तीय सेवा मुहैया कराने वाली और रिटेल क्षेत्र की कंपनियों में जल्दी नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों की दर लगभग 35 फीसदी के आसपास है। लेकिन अब इस दर में कमी आने की पूरी संभावना है।
देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक ने इस अप्रैल से अपने कर्मचारियों के प्रमोशन रोक दिए, बोनस में कटौती की है और कर्मचारियों के वेतन में होने वाली बढ़ोतरी में भी कमी की गई है। बैंक ने बताया कि अब नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों की संख्या में भी कमी आई है। दरअसल कंपनियां दुनिया भर में छाई आर्थिक मंदी से बचने के लिए यह कदम उठा रही हैं।
रोजगार दिलाने वाली कंपनी टीमलीज सर्विसेज के उपाध्यक्ष संपत शेट्टी ने बताया कि पिछली चार तिमाही से रोजगार का परिदृश्य काफी बदला है। मुंबई , कोलकाता जैसे शहरों में नियुक्तियां एक निश्चित सीमा तक पहुंच कर रुक गई हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों के अपने नए संयंत्रों के लिए होने वाली नियुक्तियों के बाद चेन्नई में भी रोजगारों की कमी हो जाएगी। मैरिको के प्रमुख (मानव संसाधन एवं रणनीति) मिलिंद सरवाटे ने बताया कि करियर संभावनाओं और अच्छे वेतन के बाद भी एफएमसीजी कंपनियों के लिए कर्मचारियों को कंपनी में रोककर रखना काफी मुश्किल हो रहा है।
उन्होंने कहा, ‘जैसे ही बाजार की हालत सुधरेगी एफएमसीजी क्षेत्र में नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों की दर 20 फीसदी से घटकर 12 फीसदी हो जाएगी। ऐसा इसीलिए होगा क्योंकि कंपनियां ही कम लोगों की नियुक्ति करेंगी जिससे कर्मचारियों के पास नौकरी छोड़ने का विकल्प ही नहीं हो।’ नियुक्ति और प्रशिक्षण देने वाली कंपनी जीनियस कंसल्टेंट्स के प्रबंध निदेशक वाई पी यादव ने बताया कि अगली तिमाही में रियल एस्टेट और रिटेल के क्षेत्र में नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों की दर घटकर 25 फीसदी ही रह जाएगी।
हालांकि यह आंकड़ा काफी ज्यादा है लेकिन फिलहाल यह आंकड़ा 30-35 फीसदी के बीच है। दरअसल अब रिटेल कंपनियां कम लोगों को नियुक्त करेंगी और वैरिएबल वेतन के मॉडल को अपनाएंगी। उदाहरण के लिए स्पेंसर्स रिटेल की ही बात करे तो कंपनी नुकसान झेल रहे कम से कम 40 स्टोर बंद करने की योजना बना रही है। इसके साथ ही कंपनी नियुक्तियों में भी कटौती करेगी। इन स्टोरों में कार्यरत कर्मचारियों को कंपनी दूसरे स्टोरों में स्थानांतरित कर देगी। पिछले साल तक स्पेंसर्स हर महीने लगभग 500-600 लोगों की नियुक्ति करती थी। कंपनी के एक प्रवक्ता के मुताबिक आने वाले दो तिमाही में कंपनी हर महीने 200-300 लोगों की ही नियुक्ति करेगी।
पटनी कंप्यूटर्स ने भी लगभग 400 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है। टीसीएस और आईबीएम जैसी आईटी कंपनियों ने भी अपने सॉफ्टवेयर और बीपीओ कारोबार में कर्मचारियों की नियुक्ति में कमी की है। आईटी कंपनी हेक्सावेयर ने भी अगली दो तिमाही तक कोई भी नियुक्ति नहीं करने की घोषणा की है। यादव ने बताया कि टेलीकॉम और बैंकिंग के क्षेत्र में भी यह दर 25-30 फीसदी के बीच है। जबकि मीडिया और एंटरटेनमेंट के क्षेत्र के लिए यह आंकड़ा 15-20 फीसदी है।