अदाणी समूह अपने महत्त्वाकांक्षी 20 अरब डॉलर के वार्षिक पूंजीगत व्यय का इंतजाम मुख्य रूप से आंतरिक संसाधनों और कर्ज के माध्यम से करेगा। समूह के शीर्ष अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। अदाणी समूह बिजली पारेषण और वितरण क्षेत्र में विस्तार के लिए उत्तर प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों के लिए बोली लगाने की भी योजना बना रहा है।
अदाणी ग्रीन एनर्जी के कार्यकारी निदेशक सागर अदाणी की अगुआई में समूह के शीर्ष अधिकारियों ने समूह के पूंजीगत व्यय के लिए बहुयाआमी रणनीति का ब्योरा दिया। उनके अनुसार समूह में करीब 8.5 अरब डॉलर का मुक्त नकद प्रवाह से, तकरीबन 3 अरब डॉलर कर्ज का पुनर्वित्त और 3 से 4 अरब डॉलर नई उधारी से जुटाई जाएगी। इसके साथ ही 1.6 से 1.8 अरब डॉलर वित्त वर्ष 2026 से विकास कार्यों के मुनाफे से आएगी।
अदाणी ने कहा, ‘हमें इक्विटी फंडिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी। हमारे कारोबार में सालाना करीब 8 से 9 अरब डॉलर नकदी प्रवाह होता है।’ पारिवारिक ऑफिस के जरिये आरंभिक सार्वजनिक पेशकश जारी रह सकती है लेकिन ये कदम कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने के बारे में नहीं हैं।
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उदाहरण के लिए अदाणी एंटरप्राइजेज ने पिछले साल पात्र संस्थागत नियोजन के जरिये 50 करोड़ डॉलर जुटाई थी और अदाणी विल्मर में 1.6 अरब डॉलर में अपनी हिस्सेदारी भी बेची थी। कंपनी ने 2 अरब डॉलर का कोष बनाया था जिनमें से हवाई अड्डों के विकास के लिए 30 करोड़ डॉलर रखा गया है।
अदाणी ने कहा कि समूह अपनी पूंजीगत खर्च योजना को बढ़ा रहा है तथा सालाना 20 अरब डॉलर तक के निवेश का लक्ष्य बना रहा है। समूह मुख्य रूप से महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश करेगा।
अदाणी समूह के सीएफओ जुगशिंदर रॉबी सिंह ने कहा, ‘अदाणी समूह में पूंजीगत व्यय अगले छह वर्षों के लिए सालाना 15 अरब डॉलर से 20 अरब डॉलर के बीच रहेगा और हमारा लक्ष्य वित्त वर्ष 2026 में 20 अरब डॉलर के करीब पहुंचना है।’ उन्होंने कहा कि कुल पूंजीगत निवेश का 55 से 58 फीसदी पारेषण और बिजली क्षेत्र जबकि 20 से 30 फीसदी निवेश परिवहन एवं लॉजिस्टिक क्षेत्र में किया जाएगा।
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अदाणी ने कहा कि समूह की परिसंपत्तियां बाजार में उठापटक से काफी हद तक सुरक्षित हैं। ये लगभग शून्य जोखिम वाले निवेश हैं जो 16 फीसदी या उससे अधिक का रिटर्न देते हैं, जिसे हासिल करने में उपभोक्ता कंपनियों को दशकों लग जाते हैं।’
विलय और अधिग्रहण पर सिंह ने कहा कि समूह ने कई बड़े सौदे किए हैं मगर बीते 6 साल में समूह की संपत्तियों में जितना इजाफा हुआ है उनमें विलय एवं अधिग्रहण की हिस्सेदारी 10 फीसदी से भी कम है। अदाणी समूह ने होल्सिम से 10 अरब डॉलर में अंबुजा सीमेंट को भी खरीदा था। सिंह ने कहा, ‘हम नई परियोजनाएं विकसित करना पसंद करते हैं। हमारे पूंजीगत खर्च का केवल 5 से 6 फीसदी ही विलय एवं अधिग्रहण में लगाया जाएगा।’