पिछले साल एडटेक क्षेत्र की संकटग्रस्त दिग्गज बैजूस के कर्मचारी अजय (बदला हुआ नाम) ने मुंबई में अपने माता-पिता को उपहार मेदेने के लिए एक करोड़ से अधिक में एक मकान खरीदा था। उन्होंने बैंक से ईएमआई पर लगभग 75 लाख रुपये का ऋण लिया। हालांकि इस सौदे के कुछ महीने बाद बैजूस ने उन्हें नौकरी से हटाने का नोटिस थमा दिया। पिछले साल उन्हें कम कीमत पर अपनी संपत्ति बेचनी पड़ी और चॉल में अपने पिछले आवास में जाना पड़ा।
अजय ने कहा, ‘एक मध्य वर्गीय लड़के का सपना था कि वह अपने माता-पिता को उपहार में मकान और उन्हें मुंबई की चॉल से बाहर निकाले।’ भविष्य निधि, ग्रेच्युटी और पूरा मुआवजा पाने के लिए उन्हें यहां-वहां भटकने के लिए भी मजबूर होना पड़ा। वह अभी तक भी कंपनी से रकम हासिल नहीं कर पाए हैं। अजय ने आरोप लगाया, ‘जब मैंने मानव संसाधन विभाग को कॉल किया, तो उन्होंने मुझे गालियां दीं।’
अजय बैजूस के उन 2,000 असंतुष्ट पुराने कर्मचारियों में से हैं, जिन्होंने अपने अधिकारों के लिए लड़ने के वास्ते हाथ मिलाया है। नई दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित उनमें से कई कर्मचारी अगले सप्ताह अपने बकाया भुगतान के लिए पूर्व नियोक्ता को बेंगलूरु में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ले जाने की योजना बना रहे हैं।
बैजूस के पूर्व शिक्षक भरत (बदला हुआ नाम) ने कहा, ‘एनसीएलटी में अपना मुकदमा लड़ने के लिए हम पहले ही एक वकील को नियुक्त कर चुके हैं और कुल दावा राशि एक करोड़ रुपये से अधिक है जो मामला दायर करने के लिए जरूरी सीमा होती है।’ उन्होंने कहा कि उनमें से कई लोग बैजूस के साथ कानूनी लड़ाई में भाग लेने से डरते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके करियर पर खराब असर पड़ेगा।