कम पैदावार और खुले बाजार में ऊंची कीमतों के चलते इस बार उत्तर प्रदेश में सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। खुले बाजार में गेहूं की अधिक कीमत के साथ मिल रही तमाम सहूलियतों के चलते किसान सरकारी क्रय केंद्रों की ओर रुख नहीं कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में इस सीजन के लिए गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हुए 10 दिन बीत चुके हैं पर अभी तक कई क्रय केंद्रों की बोहनी तक नहीं हुई है। प्रदेश में खुले 5000 सरकारी क्रय केंद्रों पर अब तक 30 टन गेहूं ही खरीदा जा सका है। इसका बड़ा कारण खुले बाजार में आढ़तियों से मिलने वाला अच्छा भाव है। प्रदेश सरकार ने जहां गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपये प्रति कुंतल तय किया है वहीं खुले बाजार में किसानों को आसानी से 2550 रुपये प्रति कुंतल से ज्यादा की कीमत मिल रही है। अच्छी क्वालिटी का आरआर 21 वैरायटी के गेहूं का आढ़तीये किसानों को 2600 से 2700 रुपये तक की कीमत दे रहे हैं। इसके अलावा आढ़तिए किसानों से सीधे खलिहान में ही खरीद कर ले रहे हैं और उन्हें भाड़े का भुगतान नहीं करना पड़ रहा है। सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं की क्वालिटी को लेकर छानबीन खासी होती है और नमी, दाने के पतले आदि होने जैसी कमियों के नाम पर किसानों से कटौती की जाती है। खुले बाजार में माल बेचने पर इस तरह की दिक्कत नहीं आती है।
राजधानी लखनऊ में पांडे गंज गल्ला मंडी के आढ़ती राजा तिवारी बताते हैं कि बाजार में गेहूं और आटे के भाव बीते दो सालों से चढ़े हुए हैं और आगे भी बढ़ने की संभावना है। उनका कहना है कि इस बार पैदावार भी पिछले साल के मुकाबले कम लिहाजा व्यापारी ज्यादा कीमत देकर भी खरीद कर रहे हैं। तिवारी के मुताबिक अगले एक महीनों में खुले बाजार में 2900 रुपये क्विंटल के भाव पर खरीद हो सकती है।
गौरतलब है कि बीते दो सालों से उत्तर प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद कमजोर जा रही है। इसका बड़ा कारण खुले बाजार में मिल रही अच्छी कीमतें हैं। पिछले साल प्रदेश सरकार ने 60 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य रखा था जिसके मुकाबले केवल 9.31 लाख टन की ही खरीद हुई थी। इससे पहले वर्ष 2023-24 में तो खरीद केवल 2.19 लाख टन की ही थी। प्रदेश में 17 मार्च से शुरू हुई गेहूं की सरकारी खरीद 15 जून तक चलेगी। अधिकारियों का कहना है कि सरकारी खरीद में अभी दिखने वाली कमी का बड़ा कारण खुले बाजार में अच्छी कीमत तो हैं ही इसके अलावा प्रदेश के बड़े हिस्से में अभी कटाई का काम चल रहा है। उनका कहना है कि अप्रैल-मई के महीने में खरीद का आंकड़ा सुधरेगा।
वहीं किसान नेता कर्ण सिंह का कहना है कि सरकारी क्रय केंद्रों पर नमी, कमजोर दाने के नाम पर पैसों की कटौती होती है और इसके अलावा भाड़े का खर्च भी वहन करना पड़ता है। वहीं आढ़तीये एडवांस पैसे तक देकर माल खरीद रहे हैं और तुरंत भुगतान भी कर रहे हैं।