facebookmetapixel
सोने-चांदी का कमाल! Edelweiss के इस फंड ने ₹10,000 मंथली SIP से 3 साल में बनाया ₹6.36 लाख का फंडप्रधानमंत्री मोदी ने देश को सौंपा नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, मेट्रो लाइन-3 का भी किया शुभारंभQ2 अपडेट में दिखाया दम, अब 30% रिटर्न देगा ये FMCG शेयर; ब्रोकरेज ने कहा – अभी खरीदेंसस्ता हुआ रूस का तेल! भारतीय रिफाइनर कर सकते हैं आयात में जबरदस्त बढ़ोतरीTata Capital IPO: अंतिम दिन पूरी तरह हुआ बुक, कितना है GMP और कितने रुपये हो सकती है लिस्टिंग? जानिएगुजरात में टैक्स कटौती की चर्चा के बीच इन दो Energy Stocks पर ब्रोकरेज बुलिश, ₹1,700 तय के टारगेट तयKotak MF लाया नया फंड, सोने-चांदी में एक साथ पैसा लगाने का मौका; ₹100 से निवेश शुरूपोर्टफोलियो में रख लें ये 5 शेयर, Motilal Oswal ने दी सलाह; अगले 1 साल में 25% तक मिल सकता है रिटर्नIMC 2025: Jio ने लॉन्च किया देश का पहला ‘सेफ्टी फर्स्ट’ फोन, कीमत सिर्फ ₹799; चेक करें शानदार फीचर्सTata Motors: 14 अक्टूबर को तय है रिकॉर्ड डेट; शेयर ₹740 से गिरकर ₹688 पर, जानिए आगे की ट्रेडिंग रणनीति

Trump Tariff: भारत के सबसे बड़े कच्चे तेल आपूर्तिकर्ता पर दबाव संभव

केप्लर के शिप ट्रैकिंग डेटा के मुताबिक भारत ने जून में रोजाना 21 लाख बैरल रूसी कच्चा तेल खरीदा है, जो उसके कच्चे तेल के कुल आयात का करीब 45 प्रतिशत है।

Last Updated- July 30, 2025 | 10:45 PM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारत द्वारा रूस के कच्चे तेल और हथियारों की खरीद पर जुर्माना लगाने तथा भारतीय निर्यात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा से भारत के रूसी तेल आयात में गिरावट की शुरुआत हो सकती है।  उद्योग से जुड़े सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि ट्रंप अगर अपनी धमकी पर अमल करते हैं तो रूस से कच्चे तेल का आयात घट सकता है।

केप्लर के शिप ट्रैकिंग डेटा के मुताबिक भारत ने जून में रोजाना 21 लाख बैरल रूसी कच्चा तेल खरीदा है, जो उसके कच्चे तेल के कुल आयात का करीब 45 प्रतिशत है। बिज़नेस स्टैंडर्ड की गणना के मुताबिक रूस से जून में तेल आयात का कुल मूल्य करीब 4.3 अरब डॉलर था।  

निजी क्षेत्र की जिन रिफाइनरियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है, उनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज और नयारा एनर्जी शामिल हैं। केप्लर के आंकड़ों के मुताबिक  इन दोनों ने जून में कुल मिलाकर रूस के कच्चे तेल का 47 प्रतिशत आयात किया है।

अमेरिका की मूडीज की सहयोगी कंपनी इक्रा के सीनियर वाइस  प्रेसीडेंट और को-ग्रुप हेड (कॉरपोरेट रेटिंग) प्रशांत वशिष्ठ ने कहा, ‘अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूसी तेल की आपूर्ति में कटौती की जाती है तो तेल की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। वैश्विक तेल के उपभोग में रूस के तेल की हिस्सेदारी करीब 7 प्रतिशत है। ’ वशिष्ठ ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को ई-मेल पर बताया कि अगर कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी होती है तो आयात बिल 13 से 14 अरब डॉलर बढ़ जाएगा।  इससे तेल विपणन कंपनियों की एलपीजी, पेट्रोल और डीजल पर रिकवरी कम हो सकती है। मुंबई की एक ब्रोकरेज के मुताबिक अभी भारत की सरकारी तेल कंपनियों का मार्जिन अभी 5 रुपये प्रति लीटर है।

First Published - July 30, 2025 | 10:32 PM IST

संबंधित पोस्ट