सोने और चांदी के कारोबार पर इस वक्त दोहरी मार पड़ रही है। एक ओर जहां आर्थिक मंदी ने इसकी मांग सिरे से घटा दी, वहीं पिछले दो महीने के दौरान इसकी कीमतों में 1500 रुपये की बढ़ोतरी हो गई है।
परिणाम यह हुआ कि बाजार से खरीदार पूरी तरह गायब हो गए हैं। सोमवार को सोने की कीमत 13,795 प्रति दस ग्राम पर रही, जो पिछले 11 सप्ताह में सबसे ज्यादा है।
चांदी की कीमत भी 400 रूपये उछलकर 17,850 प्रति किलोग्राम हो गई है। जानकारों का मानना है कि गाजा पट्टी में युद्ध छिड़ जाने से आयात में होने वाली कठिनाई के चलते आने वाले समय में कीमतें और भी बढेंग़ी।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सोना और चांदी कारोबारियों का कहना है कि शेयर बाजार के गिरने और रियल्टी जैसे सेक्टरों के ढहने के बाद सोने और चांदी पर अच्छा रिटर्न मिलता देख निवेशकों की लिवाली शुरू हो गई थी। ऐसे में कारोबार बढ़ने और आयात में कमी के चलते सोने और चांदी की कीमतें बढ़नी शुरू हो गई।
दिल्ली के सदर बाजार सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन खंडेलवाल ने बताया, ”1 नंवबर को जहां दिल्ली में सोना 11,950 रुपये प्रति 10 ग्राम था, वहीं आजकल यह 13,795 रुपये के आस-पास है। चांदी के हालात भी कुछ इसी तरह हैं। नवंबर के आरंभ में चांदी की कीमत 16,500 रुपये प्रति किलो थी, जो आज 17,850 रुपये पर पहुंच गई है।”
खंडेलवाल कहते हैं कि दिल्ली में रोजाना 200 किलो सोने की बिक्री होती रही है, लेकिन महंगा होने से सोने की मांग फिलहाल महज 120-140 किलो रोजाना रह गई है। खुदरा उपभोक्ता बाजार में सोना खरीदने की बजाए बेचने के लिए आ रहे हैं।
उनके मुताबिक, दिसंबर में ही उनका कारोबार लगभग 60 फीसदी तक कम हो गया है। नौकरियां जाने और कीमतों में इजाफे से उपभोक्ता अब बचत की फिराक में है। इसलिए इस बार त्योहारी सीजन में भी सूखा रहा। इस दौरान दूसरे सालों की अपेक्षा बिक्री में 25 फीसदी की गिरावट आई।
जानकारों के मुताबिक, वैसे भी त्योहारी सीजन के बाद दिसंबर में कारोबार धीमा ही रहता है, लेकिन इस साल कीमतों में 30-35 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। सदर बाजार स्थित जुगलकिशोर ज्वैलर्स के विजय कुमार बताते हैं कि कीमतों में रोज उतार-चढ़ाव हो रहा है।
ऐसे में हमारी कोशिश एडवांस के साथ नए ऑर्डरों को लेने की है। हमने अपना मार्जिन भी 10 फीसदी घटा लिया है। करोलबाग के राधेश्याम ज्वैलर्स के घनश्याम लालवानी का कहना है कि दिल्ली में ज्यादातर सर्राफा कारोबारी इस कारोबार से परंपरागत तौर पर जुडे हैं। इसलिए यहां किसी तरह की छंटनी की जरूरत नहीं है।
हां, अपने अनावश्यक खर्चों पर लगाम जरूर लगाया गया है। बाजार सुधरने के बारे में लालवानी कहते है कि होली के आस-पास मांग में फिर बढ़ोतरी की गुंजाइश है। इसके पहले कीमतों में किसी तरह की कमी की कोई संभावना नहीं है।